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चीन से सीमा विवाद बढ़ने पर ताइवान, जापान द्विपक्षीय संबंधों व सुरक्षा मुद्दों पर पहली बार वार्ता करेंगे

वार्ता इस महीने में ही जल्द होने की उम्मीद है जो ऑनलाइन आयोजित की जाएगी। चर्चा में सुरक्षा मुद्दों के अलावा जापान और ताइवान के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के तरीके शामिल होंगे। वार्ता का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना होगा।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 20 Aug 2021 09:15 AM (IST)Updated: Fri, 20 Aug 2021 09:15 AM (IST)
चीन से सीमा विवाद बढ़ने पर ताइवान, जापान द्विपक्षीय संबंधों व सुरक्षा मुद्दों पर पहली बार वार्ता करेंगे

टोक्यो, एएनआइ। जापानी और ताइवान के अधिकारी सैन्य और 'ग्रे-जोन' जबरदस्ती की रणनीति पर बात करने करने के लिए पहली बार सुरक्षा वार्ता आयोजित करने के लिए तैयार हैं। यह चीन द्वारा दोनों देशों पर जबरदस्ती लागू किया गया है। जापान की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) अपने ताइवानी समकक्ष, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) के साथ बातचीत करने की योजना बना रही है, जो आमतौर पर सरकारों, ताइवान के बीच आयोजित 'टू-प्लस-टू' सुरक्षा संवाद से अलग नई सत्तारूढ़ पार्टी की दोनों देशों के बीत विवरण की नई योजना है।

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वार्ता का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और दोनों देशों के सुरक्षा मुद्दों पर बातचीत करना है। ताइवान न्यूज ने बताया, 'वार्ता इस महीने में ही जल्द होने की उम्मीद है, जो ऑनलाइन आयोजित की जाएगी। चर्चा में सुरक्षा मुद्दों के अलावा, जापान और ताइवान के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के तरीके शामिल होंगे।'

टोक्यो और ताइपे के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर ध्यान रखते हुए काम करने हेतु जापान की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपने विदेश मामलों के प्रभाग के तहत एक परियोजना टीम की स्थापना की है। बता दें कि जापान और ताइवान दोनों का चीन के साथ समुद्री सीमा विवाद है और वे बीजिंग के आक्रामक विस्तारवादी दृष्टिकोण के शिकार रहे हैं।

बता दें कि चीन अपने आस पास के देशों व उनकी जमीनों पर कब्जा करने को उतारु रहता है। वहीं, अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के जाने के बाद जो हुआ, वो सबके सामने हैं। ऐसे में चीन जो ताइवान पर अपना कब्जा करना चाहता है, क्या वह कभी सफल हो पाएगा। इसको लेकर ताइवान के प्रधानमंत्री सु त्‍सेंग चांग का भी एक बड़ा बयान सामने आया था। वहीं, आपको बता दें कि ताइवान-अमेरिका के बीच सामरिक सुरक्षा पर करार है। इस समझौते के तहत ताइवान पर जब भी सुरक्षा का खतरा होगा, अमेरिका उसकी मदद में आगे आएगा। अब यह सवाल अहम हो जाता है कि जब अमेरिका ने अफगानिस्तान के युद्ध से अपने सैनिक बुला लिए तो क्या अमेरिकी सैनिक ताइवान को चीन से बचा पाएंगे।

पीएम सु त्‍सेंग चांग ने चीन को अप्रत्‍यक्ष चेतावनी देते हुए कहा कि बीजिंग को ताइवान पर कब्‍जे का भ्रम नहीं पालना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमले की स्थिति में ताइवान की स्थिति अफगानिस्‍तान की तरह नहीं होगी। उन्‍होंने कहा कि ताइवान अपनी सुरक्षा करना जानता है।


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