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Malabar Exercise 2022: मालाबार सैन्य अभ्यास का आगाज, जानिए कब और कैसे हुई थी इसकी शुरुआत

मालाबार युद्धाभ्यास का आगाज से शुरू हो गया है। जो जापान के योकोसूका में आयोजित हो रहा है। इस युद्धाभ्यास में भारत और जापान के अलावा अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की नौसेना भी शामिल हुई है। मालाबार युद्धाभ्यास में भारतीय नौसेना की दो वॉरशिप INS शिवलिंग और INS कमोर्टा शामिल हुई।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 09 Nov 2022 02:35 PM (IST)Updated: Wed, 09 Nov 2022 02:35 PM (IST)
Malabar Exercise 2022: मालाबार सैन्य अभ्यास का आगाज, जानिए कब और कैसे हुई थी इसकी शुरुआत
जापान के योकोसूका में नौसेना मालाबार युद्धाभ्यास की शुरूआत

योकोसूका, एजेंसी। जापान के योकोसूका में नौसेना मालाबार युद्धाभ्यास की शुरूआत हो गई। इस बार मालाबार युद्धाभ्यास में INS कमोर्टा और INS शिवालिक शामिल हुई है, जो आपना रणकौशल जापान के सागर में दिखाएंगी। मालाबार युद्धाभ्यास में भारत के अलावा जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की नौसेना भी शामिल हुई। ये चारों देश चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (Quadrilateral Security Dialogue) यानी क्वाड (QUAD) का हिस्सा भी है। कार्यक्रम में भारत की ओर से एडमिरल संजय भल्ला भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, जिसमें INS शिवालिक और INS कामोर्टा के कमांडिंग ऑफिसर और क्रू शामिल थे।

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भारत के दो जंगी जहाज शामिल, जानें- खासियत

जापान में आज से शुरू हो रहे मालाबार युद्धाभ्यास में भारत नौसेना दो फ्रंटलाइन वॉरशिप INS शिवलिंग और INS कमोर्टा शामिल हुई। INS शिवलिंग ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों से लैस है। इसके साथ ही यह पानी की गहराई में भी दुश्मनों को खोज निकालने और उन्हें तबाह करने में सक्षम है। आईएनएस शिवलिंग करीब 50 किमी प्रति घंटा की रफ्तार में पानी पर दौड़ता है। वहीं आईएनएस कमोर्टा को रडार में पकड़ पाना बेहद ही मुश्किल है। इसकी रेंज करीब 6500 किमी है। यह 200 किमी तक मौजूद सभी पनडुब्बियों तक की जानकारी देता है। यह परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध लड़ने में सक्षम है। आईएमएस कमोर्टा को नेवी के प्रोजेक्ट-28 के तहत बनाया गया है। जिसमें 90 फीसद हिस्सा भारत में ही विकसित किया गया है।

चीन की बढ़ती नौसेना ताकत के बीच मालाबार युद्धाभ्यास

जापान के योकोसूका में हो रहे मालाबार युद्धाभ्यास आज से शुरू हो गया है। वहीं यह मालाबार युद्धाभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में पड़ोसी देश (चीन) की सैन्य ताकत बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही चीन की सबमरीन भी अब हिंद महासागर में अक्सर आने लगी है। ऐसे समय में मालाबार में होने वाले युद्धाभ्यास का असर चीन पर पड़ सकता है। साथ ही भारत का दबदबा भी बढ़ेगा।

ऐसे शुरू हुआ मालाबार युद्धाभ्यास

मालाबार नौसेना अभ्यास पहली बार 1992 में एक द्विपक्षीय भारतीय नौसेना-संयुक्त राज्य अमेरिका नौसेना ड्रिल के रूप में हुआ था। जिसका उद्देश्य चीन के आक्रामक रुख के बीच हिंद प्रशांत क्षेत्र खासकर साउथ चाइना सी में नौवहन का स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना था। मालाबार युद्धाभ्यास का हिस्सा जापान 2015 बना। जापान के बाद 2020 में मालाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया ने हिस्सा लिया। ये चारों देश चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (Quadrilateral Security Dialogue) यानी क्वाड (QUAD) हिस्सा है।


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