शिंजो आबे ने जापान के प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दिया, सितंबर 2021 तक था कार्यकाल
65 साल के शिंजो आबे हाल ही में जापान के सबसे ज्यादा समय तक रहने वाले प्रधानमंत्री बने थे। इससे पहले यह रिकॉर्ड उनके चाचा के नाम था।
टोक्यो, एजेंसी। पेट की बीमारी से जूझ रहे जापान के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले एबी शिंजो ने इस्तीफा दे दिया है। पीएम पद पर उनका कार्यकाल सितंबर 2021 तक था। एक प्रेस कांफ्रेंस में अपने इस्तीफे की घोषषणा करते हुए उन्होंने कहा, 'अगर मैं लोगों द्वारा दी गई जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर सकता हूं तो मुझे इस पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। मैं राजनीतिक शून्यता से बचना चाहता था, क्योंकि देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। मैं देशवासियों के भरपूर समर्थन के बावजूद एक साल पहले इस पद से मुक्त हो रहा हूं।' एबी शिंजो ने खराब स्वास्थ्य के चलते दूसरी बार इस्तीफा दिया है। वर्ष 2007 में भी उन्होंने खराब स्वास्थ्य के चलते पद छोड़ा था। पीएम के इस्तीफे की खबर आते ही जापान के शेयर बाजार में बिकवाली का दौर शुरू हो गया। लगभग 47 अरब डॉलर (लगभग साढ़ेे तीन लाख करोड़) के स्टॉक बेचे गए।
विरासत में मिली थी राजनीति थी
शिंजो को राजनीति विरासत में मिली थी। पूर्व प्रधानमंत्री नोबुसुके किशी उनके दादा थे। अमेरिका-जापान सुरक्षा समझौते के चलते उन्हें 1960 में इस्तीफा देना प़़डा था। शिंजो ने सोमवार को लगातार सबसे अधिक दिनों तक प्रधानमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड कायम किया है। इससे पहले उनके चाचा ईसाकू सातो 1964 से 1972 तक 2,798 दिनों तक प्रधानमंत्री रहे थे।
वर्ष 2006 में पहली बार बने थे पीएम
एबी शिंजो सबसे पहले 52 वषर्ष की आयु में वषर्ष 2006 में जापान के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि एक साल बाद ही उन्हें सेहत के चलते इस्तीफा देना प़़डा। दिसंबर 2012 में उन्होंने सत्ता में वापसी की और अपने राष्ट्रवादी एजेंडे पर आर्थिक प्रगति को लेकर उठाए गए कदमों को प्राथमिकता दी। उन्होंने लगातार छह राष्ट्रीय चुनाव जीते और सत्ता में अपनी पक़़ड मजबूत की। उन्होंने स्कूलों में देशभक्ति की शिक्षा पर जोर दिया।
'अल्सरेटिव कोलाइटिस' से हैं पीड़ित
शिंजो ने माना कि जब वह किशोर थे तब से वह 'अल्सरेटिव कोलाइटिस' से पीड़ित हैं। हालांकि इलाज के चलते यह बीमारी नियंत्रण में थी, लेकिन हाल के दिनों यह एक बार फिर से उभर आई। इसी के चलते उन्हें एक सप्ताह में दो बार अस्पताल भी जाना पड़ा। अल्सरेटिव कोलाइटिस आंत की बीमारी है, जिसमें ब़़डी आंत में सूजन और जलन होती है। इस जलन और सूजन की वजह से ब़़डी आंत के मलाशय (कोलोन) और मलद्वार (रेक्टम) में छाले हो जाते हैं। इन छालों और सूजन के कारण पेट संबंधी परेशानियां होने लगती हैं। यह बीमारी पाचन तंत्र पर बुरा असर डालती हैं और सही समय पर इलाज नहीं कराने पर खतरे का कारण बन सकती है।
पूर्व रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री हैं दावेदार
एबी शिंजो के धुर विरोधी और पूर्व रक्षा मंत्री शीरेगू इशिबा मीडिया सर्वे में पसंदीदा नेता के तौर पर उभरे हैं। हालांकि वह सत्तारू़ढ़ पार्टी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) में कम लोकप्रिय हैं। विदेश मंत्री फुमियो किशिदा, रक्षा मंत्री तारो कोनो, मुख्य कैबिनेट सचिव योशीहिदे सुगा और आर्थिक पुनरोद्धार मंत्री यासुतोशी के नाम स्थानीय मीडिया में संभावित उत्तराधिकारी के तौर पर चल रहे हैं। टोक्यो की गर्वनर यूरिको कोइके का भी नाम चल रहा है, लेकिन उन्हें देश के सबसे ब़़डे पद तक पहुंचने से पहले संसद के लिए निर्वाचित होना पड़ेगा।
अपने दोस्त के खराब स्वास्थ्य से चिंतित : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जापानी समकक्ष शिंजो एबी के खराब स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'मेरे दोस्त एबी शिंजो आपके खराब स्वास्थ्य के बारे में सुनकर तकलीफ हुई। हाल के वषर्षो में आपके कुशल नेतृत्व और व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के चलते भारत और जापान की साझेदारी प्रगाढ़ हुई है। मैं आपके जल्द स्वस्थ होने की कामना और प्रार्थना करता हूं।'
कुछ इस तरह शीषर्ष पर पहुंचे शिंजो
-21 सितंबर 1954 को एक राजनीतिक परिवार में एबी शिंजो का जन्म हुआ। उनके पिता शिनतारो एबी जापान के विदेश मंत्री रहे।
-1977 में टोक्यो स्थित यूनिवर्सिटी से स्नातक किया और 1979 में कोबे स्टील में काम करना शुरू किया।
-1993 में पहली बार सांसद चुने गए।
-2005 में जूनीचीरो कोइजूमी के प्रधानमंत्रित्व काल उन्हें चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी नियुक्त किया गया।
-2006 में वह लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता चुने गए। पहली बार प्रधानमंत्री बने
-2007 में खराब स्वास्थ्य के चलते प्रधानमंत्री का पद छोड़ा।
-2012 में दोबारा प्रधानमंत्री बने।
-24 अगस्त 2020 को वह जापान के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले नेता बने।