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पूर्वी चीन सागर में ड्रैगन की गतिविधियों से जापान नाराज, प्रधानमंत्री किशिदा बोले-कुछ भी गलत बर्दाश्त नहीं करेंगे

जापान के प्रधानमंत्री किशिदा ने पूर्वी चीन सागर में चीन के विकास कार्यों को अस्वीकार्य बताया। जापानी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर पूर्वी चीन सागर में प्राकृतिक संसाधनों को विकसित करने के चीनी प्रयासों में वृद्धि की पुष्टि की थी।

By Mahen KhannaEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 08:25 AM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 02:00 PM (IST)
पूर्वी चीन सागर में ड्रैगन की गतिविधियों से जापान नाराज, प्रधानमंत्री किशिदा बोले-कुछ भी गलत बर्दाश्त नहीं करेंगे
पूर्वी चीन सागर में चीन की गतिविधियों पर बोले किशिदा। (फाइल फोटो)

टोक्यो, रायटर। जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने शनिवार को पूर्वी चीन सागर में चीन की गतिविधियों पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि वह सागर में चीन के विकास कार्यों से निराश हैं और यह सब 'अस्वीकार्य' है।

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पश्चिमी शहर क्योटो में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने राजनयिक माध्यमों से चीन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

जापान के पीएम किशिदा ने कहा 'बहुत निराशाजनक है कि चीन पूर्वी चीन सागर में एकतरफा विकास कर रहा है जब सीमाएं अभी तक निर्धारित नहीं हैं, हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।'

बता दें कि जापानी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर पूर्वी चीन सागर में प्राकृतिक संसाधनों को विकसित करने के चीनी प्रयासों में वृद्धि की पुष्टि की थी। जिसमें जापान और चीन के बीच मध्य बिंदु के पश्चिम में शामिल क्षेत्र शामिल हैं।

गौरतलब है कि दुनिया की दूसरी और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच स्थायी तनाव का एक स्रोत पूर्वी चीन सागर में छोटे द्वीपों और उनके आसपास के पानी पर विवाद है, जिसे जापान नियंत्रित करता है लेकिन चीन भी दावा करता है।

चीन और जापान के बीच अमेरिकी फैक्‍टर, ड्रैगन ने दी चुनौती

चीन ने जापान के इस द्वीप पर हलचल उत्‍पन्‍न करके न केवल जापान को उकासाया है, बल्कि उसने एक तरह से अमेरिका को भी आमंत्रित किया है। दरअसल, जापान और अमेरिका के बीच एक रक्षा संधि है। इस संधि के तहत यदि जापान पर कोई विदेशी शक्ति हमला करती है, तो वाशिंगटन टोक्‍यो की रक्षा करेगा। इस संधि के तहत अमेरिका, जापान की रक्षा के लिए बाध्‍य है। यदि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है और सैन्‍य टकराव की नौबत उत्‍पन्‍न होती है तो जाहिर है कि अमेरिका को आगे आना होगा। ऐसा नहीं कि चीन इस संधि से वाकिफ नहीं है। उसने जानबूझ कर नए सीरे से इस द्वीप पर विवाद उत्‍पन्‍न करके अप्रत्‍यक्ष रूप से अमेरिका को ललकारा है।


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