बदल रही दुनिया, सोफिया, एंकर के बाद अब मंदिर में प्रवचन सुनाते भी नजर आएंगे रोबोट
दुनिया के कुछ देश अब रोबोट की दिशा में लगातार नई-नई खोज कर रहे हैं। न्यूज एंकर के बाद सोफिया को बनाया गया। अब ऐसा रोबोट बनाया गया जो मंदिर में प्रवचन देगा।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। एक समय था जब रोबोट के बारे में लोग सोचा ही करते थे, ऐसा माना जाता था कि शायद रोबोट जैसी चीजें दूसरी दुनिया की बात होंगी मगर बदलते समय के साथ अब ये रोबोट भी हकीकत बन चुके हैं। आम जीवन में कई जगहों पर इनका इस्तेमाल भी हो रहा है। अस्पताल में लेटे मरीज का आपरेशन करना हो, श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करना हो, किसी आफिस के रिसेप्शन पर बैठकर वहां आने वालों का स्वागत करना है, जैसे तमाम कामों में अब इनका इस्तेमाल किया जा रहा है। अब इससे आगे निकलकर रोबोट का इस्तेमाल मंदिर में प्रवचन देने के लिए शुरु किया गया है। जापान के एक बौद्ध मंदिर से इसकी शुरुआत की जा रही है।
कुछ साल पहले ही रोबोट के क्षेत्र में क्रांति हुई है। रोबोट के बारे में जानने वाले लोगों ने बोलने वाली रोबोट सोफिया का नाम जरुर सुना होगा। सोफिया को इस तरह से बनाया गया कि उसे पहली बार में देखने वाला रोबोट कह ही नहीं सकता। उसकी आंखे, बोलने पर ऊपर नीचे होने वाले होंठ और मानव त्वचा का इस्तेमाल करते हुए खूबसूरत डिजाइन की गई। सोफिया की बनावट और अन्य चीजों को देखते हुए सउदी अरेबिया ने उसे अपने यहां की नागरिकता तक दे दी। अब इसी दिशा में काम करते हुए जापान ने एक नया रोबोट डेवलप किया है। इस रोबोट को इस तरह से बनाया गया है कि ये मंदिर में बैठकर प्रवचन देता रहेगा। आमतौर पर प्रवचन देने वाले साधु संत एक समय के बाद थक जाते हैं मगर ये रोबोट कभी थकेगा नहीं बल्कि ये समय के साथ अपने को अपडेट करता रहेगा।
जापान के बौद्ध मंदिर में सुनाई देगा प्रवचन
जापान ने 400 साल पुराने एक मंदिर में बौद्ध धर्म में लोगों की रुचि को जगाने के लिए रोबोटिक पुजारी का इस्तेमाल करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। मंदिर प्रशासन का मानना है कि इससे धर्म का चेहरा बदल जाएगा, प्रवचन देने वाले पुजारी थक जाते हैं। आलोचक इसकी तुलना "फ्रांकेंस्टाइन के मॉन्स्टर" से कर रहे हैं जो एक काल्पनिक किरदार था और मिट्टी से इंसान बना कर उनमें आग भर देता था। क्योटो के कोदाइजी मंदिर में एंड्रॉयड रोबोट का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है।
मंदिर में रोबोट के इंसानी साथी इस बात की भविष्यवाणी कर रहे हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ ये रोबोट एक दिन असीमित ज्ञान हासिल कर लेगा। मंदिर के पुजारी तेन्शो गोतो ने कहा कि यह रोबोट कभी नहीं मरेगा, यह खुद को अपडेट करता रहेगा ओर बेहतर होता जाएगा। रोबोट की यही खूबसूरती है। यह ज्ञान को हमेशा के लिए और असीमित मात्रा में जमा रख सकता है। अर्टिफिशियल इटेलिजेंस की मदद से हमें उम्मीद है कि इसका ज्ञान बढ़ेगा और यह लोगों की बेहद मुश्किल समस्याओं में भी मददगार होगा। बदलते बौद्ध धर्म में इसकी महत्ता भी बढ़ती जा रही है।
इसी साल से प्रवचन देने वाले रोबोट की ली जाएंगी सेवाएं
उन्होंने बताया कि जो रोबोट बनाया गया है वो इसी साल से अपनी सेवाएं देना शुरू कर देगा, यह रोबोट अपना सिर, धड़ और हाथ हिला भी सकता है। इसके केवल हाथ, चेहरे और कंधों को ही सिलिकॉन से ढककर मानव की त्वचा जैसा रूप दिया गया है, जब यह अपने हाथ जोड़ कर प्रार्थना करता है, नरम आवाज में बोलता है। इसका शरीर को बनाने के लिेए एल्युमिनियम का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा इसके शरीर में जलती बुझती बत्तियां और तार लगे हुए हैं। इसकी बाईं आंख में छोटा सा कैमरा लगा है। इसकी आकृति हॉलीवुड साइंस फिक्शन फिल्मों जैसी ही दिखती है।
बनाने में खर्च हो रहे 10 लाख डॉलर
इस रोबोट को बनाने पर 10 लाख डॉलर खर्च हो रहे हैं। कोदाइजी मंदिर और ओसाका यूनिवर्सिटी में रोबोटिक्स के जाने माने प्रोफेसर हिरोशी इशिगुरो ने बताया कि 10 लाख डॉलर की लागत से इसे तैयार किया गया है। इस ह्यूमनॉयड को मिंदर नाम दिया गया है और यह अहंकार, क्रोध, इच्छाओं के खतरे और करुणा के बारे में बात करता है। यह पूजा करने वालों को उनके झूठे अहंकार के बारे में चेतावनी देता है। उन्होंने बताया कि जापान में लोगों के रोजमर्रा के जीवन पर धर्म का बहुत ज्यादा असर नहीं है, गोटो उम्मीद कर रहे हैं कि कोदाइजी का पुजारी रोबोट युवा पीढ़ी तक पहुंच सकेगा, जहां कई बार पारंपरिक भिक्षु नहीं पहुंच पाते।
उन्होंने कहा कि युवा समझते हैं कि मंदिर केवल शादी और अंतिम संस्कार के लिए है। मुझ जैसे पुजारी से उनका जुड़ाव मुश्किल हो सकता है लेकिन उम्मीद है कि रोबोट मजेदार तरीके से इस दूरी को खत्म कर देगा। गोटो ने इस बात पर जोर दिया कि यह सैलानियों से पैसा जुटाने का कोई हथकंडा नहीं है। उन्होंने कहा कि यह रोबोट सिखाता है कि पीड़ा से कैसे उबरें, यह यहां पर उन लोगों को बचाएगा जो मदद चाहते हैं। गोटो का कहना है कि बौद्ध धर्म का लक्ष्य है मुश्किलों को हल करना, आधुनिक समाज में अलग तरह के तनाव हैं लेकिन वास्तव में लक्ष्य बीते 2000 सालों में बिल्कुल भी नहीं बदला।
ओसाका यूनिवर्सिटी ने कुछ दिन पहले किया सर्वे
ओसाका यूनिवर्सिटी ने हाल ही में एक सर्वे किया जिसमें उन लोगों की राय मांगी गई जो कामकाज की जगहों पर रोबोट को देखते हैं। बहुत से लोगों ने इनके इंसान जैसे दिखने पर हैरानी जताई। सर्वे में शामिल एक शख्स ने कहा कि मुझे ऐसी गर्मजोशी महसूस हुई जो आम मशीनों से नहीं होती। मंदिर जाने वाले एक और शख्स ने कहा कि पहले मुझे थोड़ा अप्राकृतिक लगा लेकिन इसकी बात मानना आसान है। इसने मुझे सही और गलत के बारे में गहराई से सोचने पर मजबूर किया। हालांकि बहुत से लोग इससे सहमत नहीं हैं। कुछ लोग तो इसे जरूरत से ज्यादा "नकली" भी करार दे रहे हैं। एक श्रद्धालु ने कहा कि प्रवचन थोड़ा असहज लगा, रोबोट की मुद्राएं जरूरत से ज्यादा मशीनी लगीं।
मंदिर में प्रवचन देने के लिए रोबोट को बिठाए जाने पर कोदाइजी मंदिर की आलोचना भी हो रही है। खासतौर से विदेशी लोग इसे धर्म की पवित्रता से छेड़छाड़ बता रहे हैं। जापानी लोगों का रोबोट को लेकर ऐसा कोई पूर्वाग्रह नहीं है। हमने ऐसे कॉमिक्स भी देखे हैं जिनमें रोबोट इंसान का दोस्त है पश्चिम के लोग अलग तरीके से सोचते हैं।
हयूमेनॉयड रोबोट को दी गई अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी
गोतो का कहना है कि निश्चित रूप से मशीन में आत्मा नहीं होती, उन्होंने यह भी कहा कि बौद्ध धर्म भगवान पर भरोसा करने के लिए नहीं है, बल्कि यह बुद्ध के रास्ते पर चलने के बारे में है तो ऐसे में कोई मशीन हो, कोई लोहे का कबाड़ या फिर पेड़, कोई फर्क नहीं पड़ता। जापान की एक कंपनी ने इंसान जैसे दिखते रोबोट यानि ह्यूमेनॉएड को अब अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी भी दे दी है, रोबोट को 'पेपर' नाम दिया गया है। पेपर एक बौद्ध पुजारी की तरह अंतिम संस्कार कराएगा, इस दौरान रोबोट बौद्ध धर्म के मृत्यु संस्कार वाले सूत्र भी जोर जोर से पढ़ेगा। सूत्रों के साथ साथ रोबोट की आवाज में ढोल की धीमी घनघनाहट भी होगी।
जापान की कंपनी निसेई कॉरपोरेशन ने टोक्यो में लाइफ एंडिंग इंडस्ट्री एक्सपो के दौरान पेपर रोबोट को पेश किया। जापान की बड़ी आबादी बूढ़ी हो रही है, यही वजह है कि कारखानों, होटलों और हॉस्पिटलों में बड़े पैमाने पर रोबोटों की मदद ली जा रही है, अंतिम संस्कार करने वाले बौद्ध पुजारियों की संख्या भी कम हुई है। आमतौर पर उनकी बहुत ज्यादा कमाई नहीं होती है, इसी वजह से युवा पुरोहितगिरी से दूर भाग चुके हैं।
पुजारियों की संख्या हो रही कम, तो की गई रोबोट की खोज
निसेई कॉरपोरेशन के एक्जीक्यूटिव एडवाइजर मिचियो इनामुरा के मुताबिक पुजारियों को मंदिर के साथ साथ रोजी रोटी के लिए पार्ट टाइम नौकरी भी करनी पड़ती है। इन मुश्किलों के चलते पुजारियों की संख्या काफी कम हुई हैं, कंपनी इस कमी को रोबोटों के जरिये पूरा करना चाहती है। रोबोट पुजारी, आम पुजारी के मुताबिक बेहद सस्ता भी होगा। पुजारी जहां एक अंतिम संस्कार के बदले 2,40,000 येन (करीब 2,200 डॉलर) लेता है, वहीं रोबोट दुनिया से विदाई की रस्म 450 डॉलर में कर देगा। बौद्ध पुजारी तेजसुगी मातसुओ भी पेपर रोबोट को देखने एक्सपो में आये, मातसुओ के मुताबिक रोबोट ये काम कर तो देगा, लेकिन मशीनी अंतिम संस्कार में हर किसी को कुछ न कुछ कमी जरूर खलेगी।
रोबोट करेगा स्वागत
बेल्जियम के एक अस्पताल में अब लोगों का स्वागत रोबोट करेगा. यहां रोबोट ने रिसेप्शनिस्ट का काम संभाल लिया है, बेल्जियम के दो अस्पतालों ने रोबोट्स को अपने यहां रिसेप्शनिस्ट की नौकरी दे दी है, 4 फुट 7 इंच लंबे इस रोबोट का नाम पेपर है। पेपर 20 भाषाएं बोल सकता है, वह जान सकता है कि पुरुष से बात कर रहा है, महिला से या फिर किसी बच्चे से। वो उसी हिसाब से बात करता है।
रोबोट समिट में किया गया प्रदर्शन
जापान में अक्टूबर माह में एक विश्व रोबोट समिट हुआ था। उस दौरान एंड्रायड रोबोट टोटो के साथ टीवी पर्सनालिटी टेटसूको कुरोयांगी ने बातचीत की थी। चाइना की यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की ओर से जनवरी माह में शंघाई में हुए सम्मेलन में प्रदर्शित किया गया था। इस रोबोट का नाम जिया-जिया रखा गया था। इसे वैज्ञानिकों ने इस कांफ्रेंस में प्रदर्शित किया था। वैज्ञानिकों ने इस रोबोट के अंदर खास किस्म के फेशियल एक्सप्रेशन डाले हैं जिससे वो उस हिसाब से अपना जवाब दे सकें। चाइना का बिल्ड पहला मानव की तरह दिखने वाला रोबोट था। जापान की इलेक्ट्रानिक कंपनी तोशिबा ने टोक्यो में रोबोट की प्रदर्शनी लगाई गई थी। इसमें जापान की ओर से अक्टूबर 2014 पहला आइको चिरिया नामक रोबोट प्रस्तुत किया गया था। इसमें लगभग 550 कंपनियों और अन्य संस्थानों ने हिस्सा लिया और अपने उत्पाद को प्रदर्शित किया था।
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VIDEO: गौर से देखें तेजी से खबर पढ़ रही इस चीनी न्यूज एंकर को, इंसान नहीं है ये...