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प्लूटो ग्रह में समुद्रों को जमने से बचा कर रखती है गरम गैसों की परत

वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी सतह का अध्ययन करने के बाद यह पता चलता है कि बर्फ की सतह के नीचे एक उपसतह है और उसके नीचे महासागर मौजूद है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 22 May 2019 11:27 AM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 11:27 AM (IST)
प्लूटो ग्रह में समुद्रों को जमने से बचा कर रखती है गरम गैसों की परत
प्लूटो ग्रह में समुद्रों को जमने से बचा कर रखती है गरम गैसों की परत

टोक्यो, प्रेट्र। वैज्ञानिकों का कहना है कि गरम गैसों की एक परत प्लूटो के बाहरी बर्फीले वातावरण से इस ग्रह के समुद्रों को जमने से बचाकर रखती है। जापान के होक्काइडो यूनिवर्सिटी की एक टीम ने कम्प्यूटर सिमुलेशन के माध्यम से 4.6 अरब साल पहले तक का समय कवर किया यह वह समय था जब सौर प्रणाली बनने की शुरुआत हुई थी।

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जुलाई 2015 में नासा के न्यू होराइजंस अंतरिक्ष यान ने प्लूटो के पास से उड़ान भरी थी। इस दौरान उसने इस बौने ग्रह और उसके चंद्रमाओं की कई छवियां भेजीं। इन छवियों के माध्यम से प्लूटो की सतह के बारे में अप्रत्याशित जानकारियां मिलीं इसके साथ ही ग्रह के भूमध्य रेखा के पास स्थित स्पुतनिक प्लैनिटिया नामक

एक सफेद रंग का दीर्घवृत्त बेसिन के बारे में भी पता चला।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी सतह का अध्ययन करने के बाद यह पता चलता है कि बर्फ की सतह के नीचे एक उपसतह है और उसके नीचे महासागर मौजूद है। जापान के टोकुशिमा यूनिवर्सिटी और अमेरिका में सांता क्रूज में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस बात पर अध्ययन किया कि आखिर क्या ऐसी चीज है जो समुद्र की सतह को गर्म रखती है।

अपने अध्ययन में उन्होंने पाया कि बर्फीली सतह के नीचे गैस हाइड्रेट्स की एक परत मौजूद है। गैस हाइड्रेट जल के अणुओं के बीच फंसे हुए हैं और क्रिस्टलीय बर्फ के समान ठोस हैं। नेचर जियोसाइंस जर्नल में प्रकाशित इस शोध में प्लूटो के आंतरिक और ऊष्मीय और संरचनात्मक विकास को दर्शाया गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इसी तरह की गैस की परतें अन्य बड़े और बर्फीले खगोलीय पिंडों में भी लंबे समय तक उप-महासागरों को बनाए रख सकती है।

शोध टीम के सदस्यों ने बताया कि प्लूटो ग्रह में तरल समुद्र मिलने से इस बात संभावनाएं बढ़ जाती हैं कि ब्रह्मांड के अन्य खगोलीय पिंडों में भी समुद्र हो। इस अध्ययन ने पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों और पिंडों में पानी खोजने की वैज्ञानिकों की उत्सुकता को और बढ़ा दिया है। शोधकर्ताओं की टीम का नेतृत्व करने वाली होक्काइडो विश्वविद्यालय की शुचिची कामता ने कहा कि इसका तात्पर्य यह भी है कि पुरानी मान्यताओं के बाद भी इस ब्रह्मांड में कई और समुद्र भी मौजूद हैं, जो इस अलौकिक जीवन के अस्तित्व को अत्यधिक स्वीकार्य बनाती है।

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