आतंकवाद से मिलकर लड़ेंगे हिंद महासागर के देश
21 देशों के समूह ने अपने घोषणा-पत्र में आतंकवाद को शांति, स्थायित्व, विकास और बहुलतावादी समाज के लिए खतरा बताया है।
जकार्ता, प्रेट्र। आतंकवाद से मिलकर लड़ने के निश्चय के साथ हिंद महासागर तटीय देशों के संघ आइओआरए का पहला शिखर सम्मेलन मंगलवार को जकार्ता में समाप्त हुआ। 21 देशों के समूह ने अपने घोषणा-पत्र में आतंकवाद को शांति, स्थायित्व, विकास और बहुलतावादी समाज के लिए खतरा बताया है। इसके खिलाफ एक-दूसरे के प्रयासों का समर्थन करने और सूचनाएं साझा करने का फैसला किया है।
इससे पहले सम्मेलन को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने 'शासन प्रायोजित आतंकवाद' को बिल्कुल भी बर्दाशत नहीं करने, इसे बढ़ावा देने और आर्थिक सहायता मुहैया कराने वालों को अलग-थलग कर उन पर कड़े प्रतिबंध लगाने की वकालत की। उनका इशारा ऐसी गतिविधियों में लिप्त पाकिस्तान की ओर था जो इस समूह का सदस्य नहीं है। अंसारी ने पायरेसी और समुद्री डकैती के खिलाफ एकजुटता पर भी जोर दिया। दक्षिण चीन सागर विवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र का इस्तेमाल करने वालों को जिम्मेदाराना बर्ताव और संयम दिखाना चाहिए।
संबोधन के दौरान कुछ प्रस्ताव पेश करते हुए उपराष्ट्रपति ने हिंद महासागर को सुरक्षित और समृद्ध बनाने पर जोर दिया। उनके दृष्टिकोण से समूह के अन्य सदस्य देशों के नेताओं ने भी सहमति जताई। सम्मेलन में आतंकवाद से मुकाबले के लिए संयुक्त राष्ट्र के सभी प्रस्तावों को प्रभावशाली तरीके से लागू करने और मानवाधिकारों की रक्षा पर भी सहमति बनी।
ये हैं सदस्य
हिंद महासागर 36 देशों के तटों को छूता है। इनमें से भारत सहित 21 देश अब तक इस आइओआरए में शामिल हो चुके हैं। अन्य सदस्य देश हैं, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाइलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ईरान, केन्या, कोमोरोस, मेडगास्कर, मलेशिया, मॉरीशस, मोजांबिक, ओमान, सेशल्स, सिंगापुर, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, संयुक्त अरब अमीरात और यमन। संगठन के सात वार्ता साझेदारों में अमेरिका, चीन, जापान, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और मिस्र हैं।
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