अब तेल बेचकर अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाना चाहता है मलेशिया, जानें कैसे?
मलेशिया और इंडोनेशिया दुनिया में दो सबसे अधिक पाम ऑयल उत्पादक देश है। अब मलेशिया तेल बेचकर सैन्य क्षमता को मजबूत करना चाह रहा है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल] दुनिया का हर देश सैन्य शक्ति में अपने को अव्वल रखना चाह रहा है। जिस देश के पास जिस तरह के संसाधन है वो उनको दूसरे देशों के बेचकर हथियार खरीद रहा है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए अब मलेशिया अपने सैन्य उपकरणों को बदलने के लिए काम कर रहा है। मलेशिया के पास पाम ऑयल की बहुतायत है तो वो अब इस तेल को बेचकर अपने सैन्य उपकरण बदलना चाह रहा है।
दरअसल मलेशिया बीते कई सालों से अपने सैन्य उपकरणों को बदलने के उपायों पर विचार कर रहा है। इस साल के रक्षा बजट में मलेशिया ने कटौती ती मगर उसके बाद भी वो नौसेना के पुराने जहाजों को बदलने की उसकी योजना खटाई में पड़ गई। जिन जहाजों को मलेशिया बदलना चाह रही थी उनमें से कुछ जहाजों को तो सेना में शामिल हुए 35 साल से ज्यादा का समय हो चुका है। सैन्य उपकरणों को खरीदने के लिए भारी रकम अदा करनी पड़ती है, मलेशिया के पास इतने पैसे हैं नहीं, वो पाम ऑयल का एक बड़ा उत्पादक देश है। इस वजह से अब वो ये चाह रहा है कि वो अपने यहां के तेल को बेचकर बदले में सैन्य उपकरण ले लें, इस तरह से उसकी सैन्य शक्ति मजबूत हो जाएगी।
दुनिया के 85 फीसदी पाम ऑयल का करते हैं उत्पादन
दुनिया में मलेशिया और इंडोनेशिया 85 फीसदी पाम ऑयल पैदा सबसे ज्यादा पाम ऑयल पैदा करने वाले देश हैं। दुनिया में इस्तेमाल होने वाले पाम ऑयल का 85 फीसदी हिस्सा इन्हीं दोनों देशों से आता है। इस तेल का इस्तेमाल मुख्य रूप से खाने में होता है लेकिन इससे कॉस्मेटिक्स और साबुन जैसी चीजें भी बनाई जाती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि पाम ऑयल पर्यावरण के लिए बेहद खराब है और उसे 1990 से 2008 के बीच दुनिया के 8 फीसदी जंगलों की कटाई का जिम्मेदार माना है। इसकी वजह यह है कि ताड़ के पेड़ लगाने के लिए जंगलों की कटाई की जाती है।
रक्षामंत्री का कुछ देशों में तेल बेचने का प्रोग्राम
अब मलेशिया अपने यहां पाम ऑयल को बेचकर उससे मिलने वाले पैसे से सैन्य क्षमता को मजबूत करने की तैयारी कर रहा है। रक्षा मंत्री मोहम्मद साब का कहना है कि वो अपने यहां पैदा होने वाले पाम ऑयल को कुछ देशों को बेचने की प्लानिंग कर रहे हैं, हम ऐसे देशों से सैन्य उपकरण ले लेंगे बदले में उनको पाम ऑयल का भुगतान करते रहेंगे। इस तरह से उस देश में तेल की कमी पूरी हो जाएगी और हम सैन्य क्षमता में मजबूत हो जाएंगे। हमारे यहां जो सैन्य क्षमता के उपकरण पुराने हो गए हैं उनको बदलकर नया ले सकेंगे। रक्षामंत्री का कहना है कि पाम ऑयल को बेचने के लिए चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, तुर्की और ईरान के साथ तेल के जरिए भुगतान पर बातचीत चल रही है। यदि ये देश पाम ऑयल के जरिए कारोबार पर तैयार हो जाते हैं तो हम अपने को सैन्य क्षमता के उपकरणों को बढ़ाने में कामयाब हो जाएंगे। हमारे पास बहुत पाम ऑयल की मात्रा बहुत अधिक है।
दो देश 85 फीसदी करते हैं सप्लाई
रक्षा मंत्री मोहम्मद साबू ने बताया कि पाम ऑयल बेचने के बाद नए जहाजों के अलावा मलेशिया लंबी दूरी के निगरानी वाले विमान, पायलट रहित विमान, तेज अवरोधी नौकाएं खरीदना चाह रहा है। जिन देशों से सैन्य उपकरण खरीदे जाएंगे उनसे अगले 10 साल तेल का कारोबार किया जाएगा। ये कारोबार अगले 10 साल की रक्षा नीति का हिस्सा है, इस नीति को इसी साल संसद में पेश किया जाएगा। इसमें नौसेना की क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
पश्चिम अफ्रीका में पैदाइश
पाम ऑयल ट्री या खजूर का पेड़ पश्चिम अफ्रीका के जंगलों में पाया जाता है। यहां से ब्रिटिश इसे 1870 में सजावटी पौधे के रूप में मलेशिया लेकर गए और फिर वहां से यह दूसरे देशों में गया, भारत, चीन, इंडोनेशिया और यूरोप में मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल होता है।
विवादित सागर के इलाके में नौसैनिक तैनात
हाल ही में चीन ने विवादित सागर के इलाके में अपने नौसैनिकों को तैनात किया है, इस रास्ते से हर साल 34 खरब डॉलर के सामान की ढुलाई होती है। चीनी सैनिकों की तैनाती से वियतनाम और फिलीपींस के साथ चीन का तनाव बढ़ गया है। मलेशिया दक्षिण चीन सागर पर चीन की स्थिति को लेकर उसकी आलोचना करता रहा है हालांकि हाल फिलहाल में उसने ज्यादा कुछ नहीं कहा है।
मलेशिया नियमित रूप से चीन की नावों और तटरक्षक बलों की मलेशिया की जल सीमा में आने पर लगातार नजर रखता है। उनका यह भी कहना है कि चीन मलेशिया की इज्जत करता है और "अब तक उसने ऐसा कोई काम नहीं किया है जिससे हमें तकलीफ हो."। मलेशियाई रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि दक्षिणपूर्वी एशियाई देशों को साथ मिलकर काम करना होगा ताकि अमेरिका और चीन की इस इलाके को नियंत्रित करने की होड़ में उनका अहित ना हो।
60 फीट ऊंचे पेड़ में 30 माह में आते हैं फल
करीब 60 फीट ऊंचे इस पेड़ से फल आने में करीब 30 महीने लगते हैं और उसके बाद यह अगले 20-30 सालों तक फल देता है। पाम ऑयल का इस्तेमाल खाने के साथ ही कई और चीजों में भी होता है इनमें बिस्किट, आइसक्रीम, चॉकलेट स्प्रेड के अलावा साबुन, कॉस्मेटिक और बायोफ्यूल भी शामिल है।
मलेशिया और इंडोनेशिया
पाम ऑयल की सप्लाई करने वाले देशों में मलेशिया और इंडोनेशिया सबसे प्रमुख हैं। करीब 90 फीसदी सप्लाई इन्हीं देशों से आती है। इस तेल के जरिए इन दोनों देशों में करीब 45 लाख लोगों को रोजगार मिलता है।
मुनाफे की खेती
इनके अलावा थाईलैंड, इक्वाडोर, नाइजीरिया और घाना में भी पाम ऑयल का उत्पादन होता है। खाने वाले दूसरे तेलों की तुलना में पाम ऑयल की खेती फायदेमंद हैं क्योंकि कृषि भूमि पर इसकी पैदावार करीब 4-10 गुना ज्यादा होती है।
खजूर के लिए जंगल साफ
दुनिया के कुछ इलाकों में खजूर के पेड़ लगाने के लिए जंगल साफ कर दिए गए और यह अब भी जारी है। हालांकि कंपनियों ने ऐसा नहीं करने का वचन दिया था, जंगलों के लिए काम करने वाले लोग दक्षिण पू्र्वी एशिया में कंपनियों पर हर साल जंगलों को काटने और जलाने का आरोप लगाते हैं।
यूरोप में सख्त नियम
बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड्स और ब्रिटेन 2020 तक सौ फीसदी टिकाऊ तरीके से पाम ऑयल का उत्पादन करने की तैयारी या तो कर चुके हैं या पूरी कर लेंगे।