अमेरिका में चीनी शोधकर्ताओं पर प्रतिबंध लगाने का विचार, ट्रंप प्रशासन को जासूसी का डर
ट्रंप प्रशासन चीनी नागरिकों को अमेरिकी विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में संवेदनशील अनुसंधान करने से रोकने के लिए सख्त उपायों पर विचार कर रहा है।
वॉशिंगटन (आइएएनएस)। भले ही अमेरिका चीन से व्यापार वार्ता के लिए तैयार हो गया हो, लेकिन ऐसा अब भी कहा नहीं जा सकता कि दोनों देशों के बीच सबकुछ ठीक-ठाक है। चीन से जुड़े मामले में अमेरिका हर पल सतर्क रहता है, इसी कारण वह चीनी शोधकर्ताओं पर टेढ़ी नजर रखे हुए है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन चीनी नागरिकों को अमेरिकी विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में संवेदनशील अनुसंधान करने से रोकने के लिए सख्त उपायों पर विचार कर रहा है, क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि इससे चीनी नागरिक बौद्धिक रहस्य प्राप्त कर सकते हैं।
अधिकारियों ने सोमवार को न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया, 'व्हाइट हाउस इस बात पर चर्चा कर रहा है कि चीनी नागरिकों की अमेरिका में पहुंच सीमित की जाए, जैसे उनके लिए उपलब्ध कुछ प्रकार के वीजा को प्रतिबंधित करना और चीनी शोधकर्ताओं से संबंधित नियमों का विस्तार करना, जो अमेरिकी कंपनियों और विश्वविद्यालयों में सैन्य या खुफिया मूल्य के साथ परियोजनाओं पर काम करते हैं।'
बता दें कि संभावित प्रतिबंध चीन के बढ़ते राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे का मुकाबला करने के लिए आवश्यक कदमों के एक व्यापक समूह का हिस्सा है, जिस पर अमेरिकी कंपनियों को मूल्यवान व्यापार रहस्यों को सौंपने या दबाव डालने का आरोप है। हालांकि अधिकारियों के मुताबिक, चीन के नागरिकों द्वारा जासूसी के डर के चलते अमेरिकी प्रयोगशालाओं तक पहुंच को सीमित करना होगा। इसका चीन के साथ उभरते शीत युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
हालांकि इसे लेकर चर्चा अब भी चल रही है, जिस कारण अब तक यह साफ नहीं है कि इससे कितने लोग प्रभावित होंगे। लेकिन माना जा रहा है कि स्नातक छात्रों, शोधकर्ता (पोस्ट्डॉक्टरल) और प्रौद्योगिकी कंपनियों के कर्मचारियों पर प्रतिबंध का असर पड़ेगा। गौरतलब है कि हर साल अमेरिका में एक मिलियन से अधिक विदेशी छात्र अध्ययन के लिए आते हैं, जिनसे लगभग एक-तिहाई छात्र चीन से आते हैं।