ताइवान में अमेरिकी दूतावास का उद्घाटन, तनाव में चीन
ताईवान में अमेरिका ने अमेरिकन इंस्टीट्यूट अॉफ ताइवान के नए भवन का उद्घाटन किया। इसको लेकर चीन का तनाव बढ़ गया है।
By Jagran News NetworkEdited By: Published: Tue, 12 Jun 2018 05:28 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jun 2018 06:00 PM (IST)
ताइपे, एएफपी। चीन की नाराजगी की परवाह किए बिना अमेरिका ने ताइवान में मंगलवार को अपना दूतावास कहे जाने वाले अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ ताइवान (एआइटी)के नए भवन का उद्घाटन किया। एआइटी को अमेरिकी दूतावास की तरह ही देखा जाता है। इसको लेकर चीन का तनाव बढ़ गया है। नए भवन को बनाने में करीब 25.50 करोड़ डॉलर (करीब 1718 करोड़ रुपये) की लागत आई।
शिक्षा और सांस्कृतिक मामलों से जुड़ी अमेरिकी उप विदेश मंत्री मैरी रॉयस ने ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के साथ इस समारोह में शिरकत की। मैरी ने कहा,'एआइटी दोनों देशों के मजबूत होते संबंधों को दर्शाता है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस नई इमारत आने वाले वर्षों में हमारे सहयोग को और बढ़ाएगी।' इस साल मार्च में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यात्रा नीति में बदलाव करते हुए अपने अधिकारियों को द्वीपीय देश ताइवान जाने की अनुमति दी थी।
चीन ने धमकी देते हुए अमेरिका से अपनी गलती सुधारने की मांग की थी। गौरतलब है कि 1979 में अमेरिका ने चीन को मान्यता देते हुए ताइवान से अपने औपचारिक कूटनीतिक रिश्ते खत्म कर दिए थे। इसके बावजूद अमेरिका ताइवान का मजबूत साझीदार बना रहा। चीन की नाराजगी से बचने के लिए अमेरिका एआइटी के माध्यम से ही ताइवान की मदद करता है। ताइवान को चीन अपना हिस्सा बताता है। किसी शीर्ष अमेरिकी अधिकारी का ताइवान पहुंचना चीन को नागवार लग सकता है।
शिक्षा और सांस्कृतिक मामलों से जुड़ी अमेरिकी उप विदेश मंत्री मैरी रॉयस ने ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के साथ इस समारोह में शिरकत की। मैरी ने कहा,'एआइटी दोनों देशों के मजबूत होते संबंधों को दर्शाता है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस नई इमारत आने वाले वर्षों में हमारे सहयोग को और बढ़ाएगी।' इस साल मार्च में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यात्रा नीति में बदलाव करते हुए अपने अधिकारियों को द्वीपीय देश ताइवान जाने की अनुमति दी थी।
चीन ने धमकी देते हुए अमेरिका से अपनी गलती सुधारने की मांग की थी। गौरतलब है कि 1979 में अमेरिका ने चीन को मान्यता देते हुए ताइवान से अपने औपचारिक कूटनीतिक रिश्ते खत्म कर दिए थे। इसके बावजूद अमेरिका ताइवान का मजबूत साझीदार बना रहा। चीन की नाराजगी से बचने के लिए अमेरिका एआइटी के माध्यम से ही ताइवान की मदद करता है। ताइवान को चीन अपना हिस्सा बताता है। किसी शीर्ष अमेरिकी अधिकारी का ताइवान पहुंचना चीन को नागवार लग सकता है।
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