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तालिबान से मिलेंगे चीन के विदेश मंत्री और स्‍टेट काउंसलर, इस मुलाकात के हैं अहम मायने

तालिबान और चीन के बीच आज और कल अहम बात होनी है। इससे पहले भी कई बार दोनों के बीच मुलाकात हो चुकी हैं। ये मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब तालिबान को पैसे की सख्‍त जरूर है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 02:19 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 02:19 PM (IST)
तालिबान से मिलेंगे चीन के विदेश मंत्री और स्‍टेट काउंसलर, इस मुलाकात के हैं अहम मायने
चीन के विदेश मंत्री कतर में तालिबान प्रतिनिधि मंडल से करेंगे मुलाकात

बीजिंग (रायटर्स)। चीन के विदेश मंत्री और स्‍टेट काउंसलर वांग यी कतर के दो दिवसीय दौरे पर दोहा पहुंचे हैं। यहां पर उनकी मुलाकात अफगानिस्‍तान में बनी तालिबान की अंतरिम सरकार के प्रतिनिधि मंडल से होनी है। ये मुलाकात 25-26 अक्‍टूबर में होनी है। इसकी जानकारी चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गई है। दोनों के बीच होने वाली दो दिवसीय बैठक के अहम मायने हैं। आपको बता दें कि चीन ने तालिबान की सरकार को पहले ही हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है। इसके अलावा चीन की तरफ से इस बात का भी एलान किया गया है कि वो वैश्विक स्‍तर पर अफगानिस्‍तान के लिए फंड जुटाएगा, जिससे वहां की विकास प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।

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ये मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब तालिबान को लेकर रूस का नरम रुख पूरी दुनिया के सामने आ चुका है। वहींं तालिबान और देश की आर्थिक दशा काफी खराब है। ऐसे में तालिबान लगातार विश्‍व बिरादरी से उसको धन मुहैया करवाने और विदेशों में जमा राशि से रोक हटाने की गुहार लगा रहा है। इसके अलावा इस मुद्दे पर पाकिस्‍तान ने भी उसका साथ दिया है। लिहाजा ऐसे में चीन इस मुलाकात को अपने फायदे के लिए इस्‍तेमाल कर सकता है।  

तालिबान के साथ आज और कल होने वाली मुलाकात में चीन की तरफ से भविष्‍य के संबंधों को लेकर एक राह निकाली जा सकती है। इस दौरान ये भी संभव है कि चीन अपने कर्ज के जाला में तालिबान कां फंसाने की कोशिश करे। तालिबान और वहां की जनता इस वक्‍त पैसे-पैसे को मोहताज हो रही है। ऐसे में उसको हर हाल में पैसा चाहिए। इसके लिए वो विश्‍व से लगातार गुहार लगा रहा है। ध्‍यान रहे कि अमेरिका ने अफगानिस्‍तान के सेंट्रल बैंक का विश्‍व में जमा पैसे की निकासी पर रोक लगा दी है। इसकी वजह से भी अफगानिस्‍तान के आर्थिक हालात काफी खराब हो गए हैं।

आपको यहां पर ये भी बता दें कि चीन और तालिबान अब तक कई बार बैठक कर चुके हैं। इसकी शुरुआत सितंबर-अगस्‍त में उस वक्‍त हुई थी जब तालिबान अफगानिस्‍तान की राजधानी काबुल से कुछ दूरी पर था। तब चीन ने तालिबान से पहली औपचारिक बैठक की थी। उस वक्‍त चीन की तरफ से कहा गया था कि ये बैठक तालिबान द्वारा चीन में किसी तरह की समस्‍या पैदा न करने को लेकर हुई थी। इस मुलाकात और बैठक के पीछे चीन का एक मकसद ये भी था कि उसके शिंजियांग प्रांत में तालिबान धर्म के नाम पर जनता को भड़का न सके। आपको बता दें कि शिंजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्‍याचारों को लेकर विश्‍व बिरादरी में चीन पर अंगुली उठती रही है।


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