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हांगकांग में एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए चूहे-बिल्ली का खेल, जानिए- पूरा मामला

आंदोलनकारियों की हवाई सेवा को फिर ठप करने की योजना। बल प्रयोग से पुलिस रोक रही युवाओं को।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 09:18 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 09:18 PM (IST)
हांगकांग में एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए चूहे-बिल्ली का खेल, जानिए- पूरा मामला
हांगकांग में एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए चूहे-बिल्ली का खेल, जानिए- पूरा मामला

हांगकांग, रायटर। हांगकांग में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को जाने वाले रास्तों को रोकने की आंदोलनकारियों की कोशिश को पुलिस ने विफल कर दिया है। घनी आबादी वाले मॉन्ग कॉक इलाके में शनिवार को लगातार दूसरी रात आंदोलनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। पुलिस टिकट और पासपोर्ट चेक करके ही लोगों को एयरपोर्ट की ओर जाने की अनुमति दे रही है। पुलिस आंदोलनकारियों को एयरपोर्ट पहुंचने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

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अगस्त में आंदोलनकारियों ने एयरपोर्ट के अराइवल्स हॉल में घुसकर कामकाज को बाधित कर दिया था। इसके चलते दर्जनों उड़ानें रद करनी पड़ी थीं और पूरी दुनिया में हांगकांग की फजीहत हुई थी। शुक्रवार देर शाम से सड़कों पर आ जमे हजारों प्रदर्शनकारियों की सप्ताहांत में वैसा ही फिर करने की योजना थी।

लेकिन पुलिस ने सतर्कता बरतते हुए प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोक दिया। शुक्रवार को पूरी रात और इसके बाद शनिवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच चूहे-बिल्ली का खेल चला। टुकड़ों में बंटकर प्रदर्शनकारी एयरपोर्ट की ओर बढ़ने की कोशिश करते रहे और पुलिस उन्हें घेरकर पीछे धकेलती रही।

हांगकांग में तीन महीने से जारी लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग वाले आंदोलन ने इस आर्थिक केंद्र की पहचान को बदलकर रख दिया है। सोशल मीडिया के जरिये होने वाले अह्वान से हजारों युवा सड़कों पर आते हैं और पूरी व्यवस्था को अस्त-व्यस्त करके रख देते हैं। उनसे निपटने के लिए पुलिस आंसू गैस के गोले, मिर्ची बम, पानी की बौछार और लाठीचार्ज करती है लेकिन अगले दिन फिर लोग सड़कों पर आ जुटते हैं।

आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस ने एक हजार लोगों को गिरफ्तार कर उन पर गंभीर धाराएं लगाई हैं, बावजूद इसके आंदोलनकारियों के जोश में कोई फर्क नहीं पड़ा है। स्कूली किशोर भी कक्षाएं छोड़कर आंदोलन में शामिल होने के लिए आ रहे हैं। हर उम्र और हर वर्ग के लोगों का आंदोलन को समर्थन मिल रहा है। यहां तक कि सरकारी कर्मचारी भी सड़क पर मार्च कर आंदोलन को अपना समर्थन व्यक्त कर चुके हैं।


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