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क्विंगदाओ में पीएम मोदी का शानदार स्वागत, SCO के महासचिव राशिद से मिले पीएम

दो दिवसीय यात्रा के दौरान वह एससीओ के शिखर सम्‍मेलन में शामिल होंगे। इसके साथ एससीओ समिट के सभी सदस्य देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी होगी।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 09 Jun 2018 08:12 AM (IST)Updated: Sat, 09 Jun 2018 03:31 PM (IST)
क्विंगदाओ में पीएम मोदी का शानदार स्वागत, SCO के महासचिव राशिद से मिले पीएम

नई दिल्ली [ जेएनएन ]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आठ सदस्‍यीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में शिरकत करने के लिए चीन पहुंच चुके हैं। अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान वह एससीओ के शिखर सम्‍मेलन में शामिल होंगे। इसके साथ एससीओ समिट के सभी सदस्य देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इसी क्रम में वह चीनी राष्ट्रपति और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से भी अलग से मिलेंगे। बता दें कि शनिवार को तड़के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के लिए रवाना हुए थे।

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उधर, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अध्यक्षता में शांदोंग प्रांत के क्विंगदाओ शहर में नौ और 10 जून को आयोजित हो रहे 18वें एससीओ सम्मेलन में मोदी भाग लेंगे। प्रधानमंत्री शनिवार को चीन के तटीय शहर क्विंगदाओ में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात करेंगे। बता दें कि मध्य चीनी शहर वुहान में दोनों नेताओं के बीच हुई ऐतिहासिक अनौपचारिक मुलाकात के करीब दो महीने बाद हो रही इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है।

एससीओ समिट में क्षेत्रीय सुरक्षा, सामाजिक-सांस्‍कृतिक सहयोग और आतंकवाद पर चर्चा होगी। इसमें मोदी पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने का मुद्दा भी उठा सकते हैं। यह पहला मौका होगा जब इस समिट में भारत बतौर पूर्णकालिक सदस्य शामिल हो रहा है।

चीन में शनिवार से शुरू हो रहे दो दिवसीय एससीओ शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि एससीओ के साथ भारत के संपर्क की एक नई शुरुआत होगी। उन्होंने कहा कि एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने के बाद गत एक वर्ष में इन क्षेत्रों में संगठन और उसके सदस्यों के साथ हमारा संवाद खासा बढ़ा है। मोदी ने कहा, मेरा मानना है कि क्विंगदाओ शिखर सम्मेलन एससीओ एजेंडा को और समृद्ध करेगा।

मोदी ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, एक पूर्ण सदस्य के तौर पर परिषद की हमारी पहली बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने को लेकर रोमांचित हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, नौ और 10 जून को एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए मैं चीन के क्विंगदाओ में रहूंगा। एक पूर्ण सदस्य के तौर पर भारत के लिए यह पहला एससीओ शिखर सम्मेलन होगा।

मोदी एससीओ समिट के सभी सदस्य देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। चीनी राष्ट्रपति और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से वह अलग से मिलेंगे। वुहान में हुई पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति की मुलाकात से ऐसी उम्मीद की जा रही है कि भारत-चीन के रिश्तों की गर्माहट इस समिट में भी बरकरार रहेगी। मोदी सेंट्रल एशियन स्टेट्स के सभी नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि वह पाकिस्तानी नेता खाकन अब्बासी से मिलेंगे या नहीं।


SCO के महासचिव राशिद अलीमोव और पीएम नरेंद्र मोदी (फोटोःएएनआई)


क्‍या होगी भारत की कूटनीतिक चुनौती

चुनौती-1

आतंकवाद की बढ़ती चुनौती से निपटने की होगी रणनीति

भारत और पाकिस्‍तान पहली बार स्‍थायी सदस्‍य की हैसियत से इस सम्‍मेलन में शिरकत करेंगे। इसलिए यह बैठक दोनों देशों के लिए अहम मानी जा रही है। एससीओ की खास बात यह भी है कि यह पाकिस्‍तान के घनिष्‍ठ चीन की अगुवाई में हो रही है। ऐसे में इस सम्मेलन में भारत के समक्ष एक बड़ी चुनौती पाकिस्‍तान प्रायोजित आतंकवाद को एजेंडे में शामिल कराने की होगी। इसके साथ आतंकवाद पर काबू पाने के लिए चीनी रूख काफी अहम होगा।

चुनौती -2

चीन के साथ सीमा विवाद पर कूटनीतिक पहल होगी अहम

भारत-चीन सीमा विवाद के लिहाज से भी यह मंच काफी अहम होगा। ऐसे में भारत के समक्ष यह कूटनीतिक चुनौती होगी कि वह सीमा विवाद के समाधान के लिए चीन के साथ कोई नई सकारात्‍मक पहल कर सके। इस तरह लंबे अरसे से चले आ रहे उन तमाम सीमा और सुरक्षा मसलों पर आपसी भरोसा कायम कर सके और चीन के रूख में  सहयोगी और सकारात्‍म बदलाव कर सके। इसके अलावा इस लिहाज से भी यह मंच उपयोगी है कि भारत अपनी सामरिक और क्षेत्रीय सीमा सुरक्षा की चिंताओं से संगठन के अन्‍य सदस्‍य देशों के साथ एक साझा कर सके।


SCO का क्‍या है एजेंडा

शिखर सम्मेलन में अन्य क्षेत्रीय मुद्दों के साथ-साथ सदस्य देशों के बीच सहयोग के अवसर की तलाश पर बल होगा। सदस्‍य देशों के बीच क्षेत्रिय राजनीति, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक सहयोग पर जोर होगा। यहां शंघाई स्पिरिट को मजबूत करने के मकसद से आपसी भरोसे, आपसी लाभ, बराबरी, आपसी परामर्श, सांस्कृतिक विविधता के प्रति सम्मान और साझा विकास के लक्ष्य पर केंद्रित है। सम्मेलन में क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की भी उम्मीद है। एससीओ क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा आतंकवाद के बढ़ते खतरे से लड़ना महत्वपूर्ण है।

शंघाई सहयोग संगठन के सदस्‍य देश

2001 में स्थापित एससीओ में वर्तमान में आठ सदस्य हैं जिनमें भारत, कजाखिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान शामिल हैं।  भारत और पाकिस्तान को गत वर्ष एससीओ में शामिल किया गया था।


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