चीन में आजादी पर लगाम कसने की एक और कवायद, देना होगा 'देशभक्ति' का टेस्ट
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, नियम-कानूनों की यह पूरी कवायद लोगों की आजादी पर अधिक से अधिक नियंत्रण स्थापित करने का है।
बीजिंग, जेएनएन। चीन की सत्तारू़ढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी का बुधवार को पांच साल पर होने वाला सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है, जो राजनीतिक लिहाज से कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है। वहीं इस दौरान कुछ कड़े नियमों का एलान भी किया जा सकता है, जिसके तहत कारोबारियों, पत्रकारों समेत समाज के कई वर्गों को पार्टी के प्रति निष्ठावान होने के साथ देशभक्ति का प्रदर्शन करना होगा। साथ ही देशभक्ति के 'लिटमस टेस्ट' में फेल साबित होने पर दंड भी झेलना पड़ेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, नियम-कानूनों की यह पूरी कवायद लोगों की आजादी पर अधिक से अधिक नियंत्रण स्थापित करने का है। इसके साथ ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के पास कौन देशभक्त है और कौन नहीं, यह तय करने का भी एकाधिकार होगा।
वहीं हाल ही में जारी नए दिशा-निर्देशों के तहत कारोबार करने वालों को खास हिदायत दी गई है। उन्हें देशभक्ति के मानकों के अनुसार काम करने और कारोबार में अधिक से अधिक किफायती बनने को कहा गया है। विश्लेषकों का मानना है कि सत्ता में दोबारा आने वाली पार्टी सरकार की आर्थिक सुधार नीति को भी व्यवस्थित करेगी। इस बात की भी संभावना है कि सरकार गैर-सरकारी कारोबार को बढ़ावा देगी और सरकारी कंपनियों की भूमिका में कमी लाएगी।
आपको बता दें कि सम्मेलन में शी चिनफिंग का कद बढ़ाने की तैयारी है। उन्हें फिर से राष्ट्रपति चुना जाएगा और उनके अधिकार भी बढ़ाए जाएंगे। पिछले साल अक्टूबर में पार्टी ने चिनफिंग को 'कोर लीडर' की उपाधि देकर उनकी स्थिति को मजबूत किया था। इस बार पार्टी संविधान में चिनफिंग का दर्जा बढ़ाकर पूर्व नेताओं माओत्से तुंग और डेंग शियाओपिंग के स्तर पर करने की भी संभावना है।
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