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माइक पोंपियो और मार्क एस्पर की भारत यात्रा से चीन की बढ़ी बेचैनी, कहा- कलह के बीज बोना बंद करे अमेरिका

अमेरिकी विदेश मंत्री की दक्षिण एशियाई देशों की इस यात्रा का फोकस चीन से उत्पन्न खतरे पर है। इस बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि चीन के खिलाफ पोंपियो के हमले में कुछ भी नया नहीं है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 07:39 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 07:39 PM (IST)
माइक पोंपियो और मार्क एस्पर की भारत यात्रा से चीन की बढ़ी बेचैनी, कहा- कलह के बीज बोना बंद करे अमेरिका
बेचैन चीन ने पोंपियो पर लगाया शीत युद्ध की मानसिकता और वैचारिक पूर्वाग्रहों से चिपके रहने का आरोप

बीजिंग, प्रेट्र। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर की भारत यात्रा से चीन की बैचेनी बढ़ गई है। मंगलवार को उसने पोंपियो से आग्रह किया कि वह बीजिंग और क्षेत्र के देशों के बीच कलह के बीज बोना बंद करें और क्षेत्रीय शांति व स्थायित्व को नुकसान न पहुंचाएं। पोंपियो भारत यात्रा के बाद श्रीलंका और मालदीव भी जाने वाले हैं।

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अमेरिकी विदेश मंत्री की दक्षिण एशियाई देशों की इस यात्रा का फोकस चीन से उत्पन्न खतरे पर है। इस बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि चीन के खिलाफ पोंपियो के हमले में कुछ भी नया नहीं है। वह इसे बार-बार दोहराते हैं। उन्होंने कहा, 'ये निराधार आरोप हैं जो दिखाते हैं कि वह शीत युद्ध की मानसिकता और वैचारिक पूर्वाग्रहों से चिपके हुए हैं। हम उनसे शीत युद्ध और दूसरे को बर्बाद करने वाले खेल (जीरो सम गेम) की मानसिकता छोड़ने का आग्रह करते हैं।'

पोंपियो ने पड़ोसियों के खिलाफ चीन के आक्राम रुख की आलोचना की थी

बता दें कि अगस्त में पोंपियो ने चेक गणराज्य की सीनेट में दिए अपने भाषण में कहा था, 'अब जो हो रहा है वह शीत युद्ध 2.0 नहीं है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के खतरे को रोकने की चुनौती कुछ मायनों में बदतर है। सीसीपी हमारी अर्थव्यवस्थाओं, हमारी राजनीति और हमारे समाज में पहले ही इस तरह पैठ बना चुकी है जैसी सोवियत संघ की कभी नहीं थी।' जुलाई में पोंपियो ने पड़ोसियों के खिलाफ चीन के आक्रामक रुख की भी आलोचना की थी। उनका कहना था, 'पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा शुरू किए गए हालिया संघर्ष चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अस्वीकार्य व्यवहार के ताजा उदाहरण हैं। हमारे जैसे लोकतांत्रिक देशों के लिए मिलकर काम करना बेहद जरूरी है खासकर तब जबकि हम चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा उत्पन्न खतरे को पहले से ज्यादा स्पष्ट तरीके से देख रहे हों।'


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