किडनी खराब कर रहा कोरोना, वैज्ञानिकों ने इलाज में मददगार दो एंटीबॉडी की पहचान की
वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमण को मात दे चुके एक मरीज में ऐसे दो एंटीबॉडी की पहचान की है जो इस जानलेवा वायरस के इलाज में मददगार हो सकते हैं। पढ़ें यह रिपोर्ट...
बीजिंग/शिकागो, एजेंसियां। वैज्ञानिकों ने कोरोना से संक्रमित होने के बाद ठीक हुए एक मरीज में ऐसे दो एंटीबॉडी की पहचान की है जो इस जानलेवा वायरस के इलाज में मददगार हो सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खोज वायरस से लड़ने में कारगर एंटीवायरल दवाएं और टीके बनाने में मददगार साबित हो सकती है। वहीं एक अन्य अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना के चलते एक्यूट किडनी इंजरी का खतरा बढ़ सकता है।
समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, बी38 और एच4 नामक दो एंटीबॉडी को लेकर चूहे पर किए गए प्रारंभिक प्रयोग में वायरस के असर में कमी देखी गई। साइंस पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि उक्त एंटीबॉडी वायरस के इलाज में कारगर एंटीवायरल एवं टीकों को बनाने में भी मददगार साबित हो सकते हैं। चीन की कैपिटल मेडिकल यूनिसर्विटी और चाइनीज अकेडमी ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने पाया कि ये दोनों एंटीबॉडी मिलकर वायरस को बेअसर करने वाले मजबूत प्रभाव पैदा कर सकते हैं।
वहीं अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना के चलते एक्यूट किडनी इंजरी का खतरा बढ़ सकता है। यह समस्या तब खड़ी होती है, जब किडनी रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर नहीं कर पाती। समाचार एजेंसी रॉयटर के मुताबिक, यह निष्कर्ष न्यूयॉर्क मेडिकल सिस्टम में उपचार कराने वाले पांच हजार से ज्यादा कोरोना रोगियों पर किए गए एक व्यापक अध्ययन के आधार पर निकाला गया है।
अध्ययन के दौरान देखा गया कि एक तिहाई से ज्यादा रोगी एक्यूट किडनी इंजरी से भी पीड़ित पाए गए। इस अध्ययन से जुड़े डॉ. केनर झावेरी ने कहा कि हमने 5,449 रोगियों में से 36.6 फीसद को एक्यूट किडनी इंजरी की चपेट में पाया। इन पीडि़तों में से 14.3 फीसद को डायलिसिस की जरूरत पड़ी। भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में देखा जा रहा है कि कोरोना के ज्यादातर मरीजों के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया जिससे उनकी मौत हुई।