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चीन की एक और चाल, नेपाल सेना को 148 करोड़ देगा ड्रैगन, भारत को घेरने में जुटा

China to give 148 crore to Nepal Army नेपाल पर अपनी पकड़ मजबूत करने और भारत को घेरने के लिए चीन पिछले कुछ वर्षों से लगातार कोशिशें कर रहा है। इस दिशा में उसने एक और कदम बढ़ाया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 09:46 AM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 03:24 PM (IST)
चीन की एक और चाल, नेपाल सेना को 148 करोड़ देगा ड्रैगन, भारत को घेरने में जुटा

काठमांडू, रायटर। नेपाल पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए बीते कुछ साल से चीन लगातार प्रयास कर रहा है। इस दिशा में उसने एक और कदम बढ़ाया है। अब वह आपदा राहत सामग्री के नाम पर अगले तीन साल में नेपाल सेना को 2.1 करोड़ डॉलर (करीब 148 करोड़ रुपये) की मदद देगा। नेपाल सरकार ने सोमवार को इसकी जानकारी दी।

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नेपाल के रक्षा मंत्री इस वक्त चीन की यात्रा पर है। इसी दौरान उन्होंने अपने समकक्ष वेई फेंग्हे के साथ आपदा राहत सामग्री को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किया। रक्षा मंत्रालय के अधिकारी संता बहादुर ने कहा कि अगले तीन साल तक सेना की जरूरत के हिसाब से उन्हें चीन की मदद पहुंचाई जाएगी।

बता दें कि नेपाल में अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए चीन ने यहां बड़ा भारी निवेश किया है, जिससे भारत की चिंता बढ़ी है। बीते 12 अक्टूबर को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी नेपाल की यात्रा पर आए थे। पिछले दो दशक में चीन के किसी राष्ट्रपति की नेपाल में यह पहली यात्रा थी। इस दौरान दोनों पक्ष में कई करार भी हुए।

बता दें कि कल चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगहे ने दुनिया को आगाह करते हुए कहा था कि चीन के साथ ताइवान के एकीकरण की प्रक्रिया को कोई भी रोक नहीं सकता है। ज्ञात हो कि गृहयुद्ध के बाद 1949 में अलग हुए ताइवान को चीन अपना क्षेत्र मानता है। पहले भी बीजिंग यह धमकी दे चुका है कि ताइवान यदि चीन में स्‍वेच्‍छा से नहीं मिलता तो बल प्रयोग करके इसे हासिल कर लिया जाएगा। 

असल में चीन अपनी विस्‍तारवादी नीति को तेजी से अंजाम दे रहा है। नेपाल आए चीनी राष्‍ट्रपति ने दुनिया को चेतावनी दी थी कि यदि ताइवान स्वतंत्रता की मांग पर कायम रहता है तो वह सेना का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकिचाएंगे। चिनफ‍िंग ने नेपाल में कहा था कि जो भी चीन को तोड़ने की कोशिश करेगा उसकी हड्डियां तोड़ दी जाएंगी। सनद रहे कि चिनफ‍िंग के आगमन पर ही नेपाल और चीन के बीच कई महत्‍वपूर्ण समझौते हुए थे। 


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