सात हजार अतिसूक्ष्म समुद्री प्रजातियों की हुई खोज
शोधकर्ताओं ने बताया कि नवीनतम खोजे गए सूक्ष्म जीव एसिडोबैक्टीरिका में बायोसिंथेटिक जीन समूहों के उच्च स्तर के होने के कारण इससे एंटीबायोटिक्स और एंटी ट्यूमर दवाएं बनाई जा सकती हैं।
बीजिंग, प्रेट्र। शोधकर्ताओं ने प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर से सात हजार नई अतिसूक्ष्म प्रजातियों की खोज की है। बताया कि उनकी यह खोज दुनिया भर के समुद्रों के बारे में समझ बढ़ाने में मदद करेगी। हांगकांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एचकेयूएसटी) के शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने समुद्र में पहली बार क्रिस्पर जीन एडिटिंग सिस्टम युक्त एसिडोबैक्टीरिया सहित अन्य प्रजातियों की खोज की है। शोधकर्ताओं को यह खोज करने में आठ सालों का समय लगा। उन्होंने इस दौरान 10 बैक्टीरियल फाइला की खोज भी की।
नेचर जर्नल कम्यूनिकेशंस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार यह खोज उन बातों को गलत साबित करती है। जिनमें यह बताया गया है कि दुनिया भर में केवल 35 हजार अतिसूक्ष्म समुद्री प्रजातियां और 80 बैक्टीरियल फायला हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि इस खोज के माध्यम से समुद्र की जैवविविधता के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में मदद मिली है। इसके साथ ही चिकित्सा के क्षेत्र में नई दवाएं बनाने की आशा जगी है।
एंटीबायोटिक्स बनाने में मिलेगी मदद
शोधकर्ताओं ने बताया कि नवीनतम खोजे गए सूक्ष्म जीव एसिडोबैक्टीरिका में बायोसिंथेटिक जीन समूहों के उच्च स्तर के होने के कारण इससे एंटीबायोटिक्स और एंटी ट्यूमर दवाएं बनाई जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि यह पहला ऐसा समुद्री जीव है जो क्रिस्पर जीन एडिटिंग सिस्टम से लैस है। क्रिस्पर तकनीक के माध्यम से शरीर में बीमारी से ग्रसित जीन को बाहर कर दिया जाता है। इसके साथ ही उसके स्थान पर नए जीन डाल दिए जाते हैं।