विदेश सचिव गोखले ने की चीनी विदेश मंत्री से द्विपक्षीय वार्ता
भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने शुक्रवार को चीनी विदेश मंत्री से बीजिंग में मुलाकाता की।
बीजिंग (पीटीआई)। विदेश सचिव विजय गोखले ने शुक्रवार को चीन का दौरा कर चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत की। इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों में बने तनाव जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की गई। विजय गोखले पहले चीन में भारत के राजदूत रह चुके हैं। बीजिंग में भारतीय दूतावास ने आज ट्विटर पर गोखले के दौरे की जानकारी देते हुए बताया, ‘विदेश सचिव विजय गोखले द्विपक्षीय एजेंडे, आदान प्रदान की योजनाओं एवं 2018 में होने वाली यात्राओं पर चर्चा के लिए चीन का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने 23 फरवरी को विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की।’
चीनी विदेश मंत्रालय ने भी वांग के साथ गोखले की बातचीत को लेकर कल देर रात एक बयान जारी किया। बयान के अनुसार, 'वांग ने कहा कि दोनों देशों को आपसी रणनीतिक विश्वास बढ़ाना चाहिए और दोनों देशों के नेताओं के बीच राजनीतिक सहमति के साथ साझा विकास को तेज करना चाहिए।' मालदीव में जारी राजनीतिक संकट सहित दोनों देशों के बीच मौजूद संवेदशील मसलों की तरफ इशारा करते हुए वांग ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि भारतीय पक्ष समझदारी के साथ संवेदनशील मसलों पर ध्यान देगा और चीन-भारत संबंधों के ठोस विकास को बढ़ावा देने के लिए चीन के साथ काम करेगा।’
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार गोखले ने कहा कि वह अपने कार्यकाल की शुरूआत में चीन का दौरा कर खुश हैं। चीन में भारत के राजदूत रह चुके गोखले ने पिछले महीने ही विदेश सचिव पद पर एस जयशंकर का स्थान लिया है। उन्होंने कहा कि भारत, चीन के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्व देता है और नेताओं के बीच सहमति लागू करने, एक दूसरे की मूल चिंताओं पर ध्यान देने और द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर एवं स्थिर विकास के लिए अच्छा माहौल तैयार करने के लिए उसके साथ काम करने को तैयार है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस साल जून में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा कर सकते हैं। आपको बता दें कि पिछले साल चीन के साथ 73 दिन तक चले डोकलाम गतिरोध को समाप्त करने में गोखले की भूमिका अहम रही थी।
73 दिनों तक चला था डोकलाम विवाद
सिक्किम, चीन और भूटान सीमा पर स्थित डोकलाम पठार पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के अतिक्रमण के बाद 16 जून को दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध पैदा हो गया था। चीन ने इस इलाके में सड़क का निर्माण शुरू कर दिया था। उसने भूटान के इस इलाके पर अपना दावा जताया था। इस पर भारतीय सेना ने आपत्ति जताई थी। चीन के निर्माण रोकने के बाद दोनों देशों के बीच आपसी सहमति से यह गतिरोध 28 अगस्त को समाप्त हुआ था