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Wheat Export Ban: चीन ने जी-7 की आलोचना के बाद भारतीय गेहूं के निर्यात पर रोक का किया बचाव

ग्लोबल टाइम्स में छपी रिपोर्ट में कहा गया कि अब जी-7 के कृषि मंत्री भारत से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाने का आग्रह करते हैं तो जी-7 देश स्वयं अपने निर्यात में वृद्धि करके खाद्य बाजार की आपूर्ति को स्थिर करने के लिए आगे क्यों नहीं बढ़ेंगे।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 05:06 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 05:19 PM (IST)
भारत दुनिया का है दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक

बीजिंग, एएनआइ। गेहूं के निर्यात को विनियमित करने के फैसले पर जी-7 की आलोचना के बाद चीन रविवार को भारत के बचाव में आया है। चीन ने कहा कि भारत जैसे विकासशील देशों को दोष देने से वैश्विक खाद्य संकट का समाधान नहीं होगा। पिछले हफ्ते, भारत सरकार ने अपने निर्यात को प्रतिबंधित श्रेणी के तहत रखकर गेहूं की निर्यात नीति में संशोधन किया है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि सरकार ने तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।

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लेकिन इस रिपोर्ट के बीच आश्चर्य की बात यह थी कि ग्रुप आफ सेवन (जी-7) देशों की आलोचना के बाद चीनी मीडिया ने भारत का साथ दिया है। चीनी सरकार के एक आउटलेट ग्लोबल टाइम्स ने साफ कहा कि भारत को दोष देने से खाद्य समस्या का समाधान नहीं होगा।

ग्लोबल टाइम्स में छपी रिपोर्ट में कहा गया कि अब जी-7 के कृषि मंत्री भारत से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाने का आग्रह करते हैं, तो जी-7 देश स्वयं अपने निर्यात में वृद्धि करके खाद्य बाजार की आपूर्ति को स्थिर करने के लिए आगे क्यों नहीं बढ़ेंगे?

हालांकि, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है, यह वैश्विक गेहूं निर्यात का केवल एक छोटा हिस्सा है। इसके विपरीत, अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय संघ और आस्ट्रेलिया सहित कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाएं गेहूं के प्रमुख निर्यातकों में से हैं।

ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि यदि कुछ पश्चिमी देश संभावित वैश्विक खाद्य संकट के मद्देनजर गेहूं के निर्यात को कम करने का निर्णय लेते हैं, तो वे भारत की आलोचना करने की स्थिति में नहीं होंगे। एक ऐसा देश जो अपनी खाद्य आपूर्ति को सुरक्षित करने के दबाव का सामना कर रहा है। इस लेख में तर्क दिया गया कि वैश्विक खाद्य संकट से निपटने के प्रयासों में शामिल होने के लिए जी-7 देशों का स्वागत किया गया और भारत और अन्य विकासशील देशों की आलोचना के खिलाफ सलाह दी गई है।

भारत बना हुआ एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता

वहीं, भारत ने अपनी ओर से शनिवार को एक बयान जारी किया जिसमें उसने कहा कि गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित करने का निर्णय खाद्य कीमतों को नियंत्रित करेगा और भारत और घाटे का सामना करने वाले देशों की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करेगा। साथ ही कहा कि भारत एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बना हुआ है क्योंकि यह सभी अनुबंधों का सम्मान कर रहा है।

खाद्य घाटे वाले देशों की वास्तविक जरूरतों को किया जाएगा पूरा: भारत

खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव सुधांशु पांडे और कृषि सचिव मनोज आहूजा के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए वाणिज्य सचिव ने कहा कि सभी निर्यात आदेश जहां साख पत्र जारी किया गया है, उन्हें पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी चैनलों के माध्यम से गेहूं के निर्यात को निर्देशित करने से न केवल हमारे पड़ोसियों और खाद्य-घाटे वाले देशों की वास्तविक जरूरतों को पूरा करना सुनिश्चित होगा, बल्कि मुद्रास्फीति की उम्मीदों पर भी नियंत्रण होगा।

नियंत्रण आदेश तीन मुख्य उद्देश्यों को करता है पूरा: सुब्रह्मण्यम

गेहूं की उपलब्धता के बारे में बात करते हुए वाणिज्य सचिव सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत की खाद्य सुरक्षा के अलावा, सरकार पड़ोसियों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि नियंत्रण आदेश तीन मुख्य उद्देश्यों को पूरा करता है। यह देश के लिए खाद्य सुरक्षा को बनाए रखता है। यह संकट में अन्य लोगों की मदद करता है। साथ ही कहा कि यह एक आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की विश्वसनीयता भी बनाए रखता है।


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