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ओबीओआर में बौद्ध धर्म के इस्तेमाल की चीनी जुगत

ओबीओआर राष्ट्रपति शी चिनफिंग की दुनिया को चीन से जोड़ने की महात्वाकांक्षी परियोजना है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 08:33 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 08:33 PM (IST)
ओबीओआर में बौद्ध धर्म के इस्तेमाल की चीनी जुगत

बीजिंग, प्रेट्र। वन बेल्ट-वन रोड (ओबीओआर) प्रोजेक्ट की सफलता के लिए चीन अब तिब्बत के बौद्ध धर्म का इस्तेमाल करना चाह रहा है। इसके जरिये वह अपना मानवीय और धर्म परायण चेहरा प्रस्तुत करना चाह रहा है। उल्लेखनीय है कि चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का एक दलीय शासन है और वहां पर धर्म संबंधी सार्वजनिक गतिविधियों पर रोक है।

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ओबीओआर राष्ट्रपति शी चिनफिंग की दुनिया को चीन से जोड़ने की महात्वाकांक्षी परियोजना है। इसके तहत चीन ने अरबों डॉलर का कर्ज देकर कई देशों में सड़क और रेलमार्ग बनाए हैं। इस परियोजना को चीन का प्रभाव बढ़ाने का अहम औजार भी माना जा रहा है। पाकिस्तान भी इस परियोजना का हिस्सा बना है लेकिन चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरीडोर के गुलाम कश्मीर से गुजरने की वजह भारत उसका विरोध कर रहा है।

चीन के किंघाई प्रांत में मंगलवार को आयोजित सरकारी कार्यक्रम में ओबीओआर के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला गया। बताया गया कि मानवता की बेहतर सेवा के लिए आधारभूत ढांचे का विकास आवश्यक है। परियोजना के जरिये यही विकास कार्य किया जा रहा है। भगवान बुद्ध का भी मानवता की सेवा का उद्देश्य था।

कार्यक्रम में तिब्बत से आए कई बौद्ध भिक्षुओं और विद्वानों ने हिस्सा लिया। चीन तिब्बत के बौद्ध विद्वानों के अपने हितों के लिए इस्तेमाल की लगातार कोशिश करता रहा है। वह ऐसा करके भारत में रह रहे दलाई लामा के प्रभाव को कम करना चाहता है। दलाई लामा चीन के विरोध में दुनिया भर के बौद्धों को एकजुट किए हुए हैं।


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