श्रीलंका को कर्ज देना जारी रखेगा चीन
चीन ने गुरुवार को श्रीलंका को आर्थिक मदद के तौर पर कर्ज मुहैया कराए जाने का ऐलान किया।
कोलंबो। चीन ने गुरुवार को श्रीलंका को आर्थिक मदद के तौर पर कर्ज मुहैया कराए जाने का ऐलान किया। चीन की ओर से ऐसा वन बेल्ट वन रोड के बुनियादी ढ़ाचे की तैयारी के तौर पर दिए जाने की बात कही गयी, जबकि श्रीलंका पहले से ही चीन के कर्ज के बोझ तले दब पड़ा है। चीन के कर्ज को उतारने के लिए श्रीलंका को हंबनटोटा बंदरगाह चीन को 99 सालों के लिए लीज पर देना पड़ा था।
पश्चिमी मीडिया के इन दावों का खारिज करते हुए कोलंबों में स्थित चीनी दूतावास ने न्यूयार्क टाइम्स की श्री लंका में चीनी प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के प्रोजेक्ट को बेबुनियाद बताया।
श्रीलंका ने विश्व के सबसे व्यस्त शिपिंग रुट में पड़ने वाले एक हिस्से पर बने बंदरगाह को पिछळे साल बीजिंग को 99 सालों के लिए लीज पर दे दिया था। श्रीलंका चीन के 1.4 बिलियन डॉलर को अदा करने में नाकामयाब रहा था।
इसी चिंता का जिक्र करते हुए भारत जैसे देश ने चीन के राष्ट्रपति शी झिनपिंग के एक ट्रिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट वन बेल्ट वन रोड में में शामिल होने से इनकार कर दिया था। मामले में चीनी दूतावास ने कहा कि चीन का कर्ज माभ 5.5 बिलियन डॉलर है, जो कि कोलंबो के कुल लोन 51.82 बिलियन डालर के मुकाबले काफी कम है। ऐसे में दूसरे प्रोजेक्ट को बंद नहीं किया जा सकता है। दूतावास की ओर से कहा गया कि चीन श्रीलंका को मदद देना जारी रखेगा, जो कि श्रीलंका के विकास में सहायक होगा।
चीन के मुताबिक कर्ज का प्रोपेगैंडा पश्चिमी मीडिया की देन है। चीन की ओर से श्रीलंका में एक नया एयरपोर्ट बनाया जा रहा है, जहां से कोई उडा़न संचालित नहीं होती है। मालाटा का यह एयरपोर्ट राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे के शासनकाल में बनाया गया था, जो कि उनकी विधानसभा है।
इंटरनेशनल मॉनिट्री फंड ने श्रीलंका को वर्ष 2016 के जून माह में 1.5 बिलियन डॉलर लोन की वजह से बेल ऑउट कर दिया था साथ ही चेतावनी जारी की थी। न्यूयार्क टाइम्स के मुताबिक महिंद्रा राजपक्षे के शासनकाल में चीनी प्रोजेक्ट को काफी संख्या में इजाजत दी गई।
श्रीलंका के दो पत्रकारों ने मामले को लेकर यूए डेली अखबार में रिपोर्टिंग की थी और महिंद्रा राजपक्षे की आलोचना की। ऐसे में राजपेक्षे की समर्थक और मंत्रियों की ओर से शोसल मीडिया पर उन्हें धमकी मिली। राजपक्षे ने चुनावी कैंपेन फंडिंग के आरोपों पर न्यूयार्क टाइम्स की महिंद्रा राजपक्षे ने आलोचना की।