गुरुत्वाकर्षणीय तरंगों की खोज में चीन ने भेजे दो सैटेलाइट
गुरुत्वाकर्षणीय लहरों की खोज के लिए चीन ने दो सैटेलाइट लॉन्च किया है। इससेे पहले पूरी पृथ्वी की निगरानी के लिए चीन ने अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट गाओफेन-14 को लॉन्च किया है। यह सैटेलाइट दुनिया के किसी भी हिस्से में जमीनी वस्तुओं की हाई रेजोल्यूशन की तस्वीरें लेेेने में सक्षम है।
बीजिंग, प्रेट्र। चीन ने गुरुवार को सफलतापूर्वक दो सैटेलाइट लॉन्च किए। सिचुआन प्रांत (Sichuan Province) में शिचांग सैटेलाइट लॉन्च सेंटर (Xichang Satellite Launch Centre) से सुनियोजित ऑर्बिट में ग्रैविटेशनल वेव्स की खोज के लिए इन सैटेलाइटों को लॉन्च किया गया है। इन सैटेलाइट को GECAM मिशन (ग्रैविटेशनल वेव हाइ एनर्जी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक काउंटरपार्ट ऑल स्काइ मॉनिटर मिशन) पर भेजा गया है। इन्हें लॉन्ग मार्च-11 कैरियर रॉकेट के जरिए सुबह लॉनच किया गया।
GECAM सैटेलाइट का इस्तेमाल उच्च ऊर्जा वाली खगोलीय घटनाओं की मॉनिटरिंग के लिए की जाएगी। उदाहरण के लिए गुरुत्वाकर्षणीय तरंगे गामा, रेडियो तरंगे, विशेष गामा तरंगे, चुंबकीय तरंगे और न्यूट्रॉन स्टार, ब्लैक होल आदि। GECAM प्रोजेक्ट चीन के अकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा किया जा रहा हैैै। लॉन्ग मार्च-11 रॉकेट चीन के एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कार्पोरेशन द्वारा विकसित किया गया। गुरुवार को लॉन्च किए गए ये सैटेलाइट लॉन्ग मार्च रॉकेट सीरीज का 355वां मिशन है।
इससे पहले पृथ्वी पर अपनी पैनी नजर बनाए रखने के लिए चीन ने रविवार को एक अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट को लॉन्च किया है। गाओफेन-14 नामक यह सैटेलाइट दुनिया के किसी भी हिस्से में जमीनी वस्तुओं की हाई रेजोल्यूशन की तस्वीरें लेेेने में सक्षम है। इस सैटेलाइट को लॉन्ग मार्च-3बी रॉकेट के जरिए दक्षिण पश्चिम चीन के सिचुआन प्रांत में शिचांग उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से लॉन्च किया गया।
उल्लेखनीय है कि 3 दिसंबर को चीन का चंद्रयान चांग ई-5 ने चंद्रमा की सतह पर अपना राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। चीन के इस कदम ने उसे अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा ऐसा देश बन गया जिसका झंडा चंद्रमा पर लहराया गया। चांद तक पहुंचाने के लिए भी चीन के लांग मार्च-5 रॉकेट का इस्तेमाल किया था। चीन के दो मिशन चांद की सतह पर पहले से ही मौजूद हैं। इसमें चेंग-ई-3 नाम का स्पेसक्राफ्ट 2013 में चांद के सतह पर पहुंचा था। वहीं पिछले साल जनवरी में चेंग-ई-4 चांद की सतह पर लैंडर और यूटू-2 रोवर के साथ लैंड किया था जो अब भी सक्रिय है।