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ऑकुस में पनडुब्बी पर चीन के तीखे स्वर, कहा-खतरा मोल ले रहे अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया

इस खरीद से ऑस्ट्रेलिया भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीनी सैन्य विस्तार का मुकाबला कर पाएगा। चीनी विदेश मंत्रालय का इस बारे में कहना है कि पनडुब्बियों की इस बिक्री से परमाणु हथियारों की दौड़ तेज़ होगी। ( जागरण - फोटो )

By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Wed, 15 Mar 2023 10:16 PM (IST)Updated: Wed, 15 Mar 2023 10:16 PM (IST)
परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां महीनों तक पानी के भीतर रह सकती हैं।

बीजिंग, एएनआई। यूक्रेन को लेकर पश्चिमी देश और रूस पहले ही आमने-सामने हैं, अब चीन ने अमेरिका और इसके सहयोगियों को आंखे दिखानी शुरू कर दी हैं। चीन ने ऑकुस में शामिल ऑस्ट्रेलिया, ब्रिट्रेन और अमेरिका को चेतावनी दी कि ये देश 'गलती और खतरे के रास्ते' पर चल रहे हैं। आपको बता दें कि चीन ने यह टिप्पणी इन देशों के बीच परमाणु-संचालित पनडुब्बियों का सौदा होने के बाद दी है।

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विदेश मंत्रालय ने जताई आशंका, तेज होगी परमाणु हथियारों की दौड़

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ऑकुस में शामिल देश अपने हितों के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताएं दरकिनार कर रहे हैं। बता दें अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री एंथनी अल्बनीस और यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने सोमवार को घोषणा की कि अपने समुद्री बेड़े को आधुनिक बनाने के लिए ऑस्ट्रेलिया अमेरिका से परमाणु शक्ति से चलने वाली हमलावर पनडुब्बियां खरीदगा।

इस खरीद से ऑस्ट्रेलिया भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीनी सैन्य विस्तार का मुकाबला कर पाएगा। चीनी विदेश मंत्रालय का इस बारे में कहना है कि पनडुब्बियों की इस बिक्री से परमाणु हथियारों की दौड़ तेज़ होगी।

तीनों देश चीन का मिलकर करेंगे मुकाबला, समुद्री ताकत बनेगा ऑस्ट्रलिया

बता दें अमेरिका द्वारा ऑस्ट्रेलिया को वर्ष 2030 के आसपास तक तीन परमाणु-संचालित वर्जीनिया-श्रेणी की सशस्त्र पनडुब्बियों की आपूर्ति की जाएगी। जरूरत पड़ने पर यह आपूर्ति पांच तक बढ़ाई जा सकती है। परमाणु-संचालित पनडुब्बियों के साथ ऑकुस ऑस्ट्रेलिया को अभूतपूर्व तीन-तरफ़ा रक्षा साझेदारी में शामिल करने की योजना है ताकि तीनों देश मिलकर प्रशांत क्षेत्र में प्रभुत्व हासिल करने के चीन के प्रयासों का मुकाबला कर सकें।

परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां महीनों तक पानी के भीतर रह सकती हैं। इससे ऑस्ट्रेलिया को अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने में सहायता मिलेगी। इससे पहले अमेरिका का इस प्रौद्योगिकी को साझा करने के लिए सिर्फ ब्रिटेन से समझौता था।


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