जानें- ऑस्ट्रेलिया के किस फैसले से चिढ़ा है चीन, अपने खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने का लगाया है आरोप
ऑस्ट्रेलिया द्वारा अपने नागरिकों को जारी की गई ट्रैवल एडवाइजरी से चीन बुरी तरह से चिढ़ गया है। उसने ऑस्ट्रेलिया पर ही आरोप लगा दिया है। दरअसल इसमें नागरिकों को चीन न जाने की सलाह
बीजिंग (रॉयटर्स/एपी)। ऑस्ट्रेलिया द्वारा अपने नागरिकों को चीन न जाने के लिए एक एडवाइजरी जारी करने की घटना को चीन ने हास्यास्पद करार दिया है। चीन का कहना है कि ये न केवल हास्यास्पद है, बल्कि चीन के प्रति एक तरह से दुष्प्रचार करने की भी कोशिश है। दरअसल एक दिन पहले ही ऑस्ट्रेलिया ने अपने नागरिकों के लिए एक ट्रैवल एडवाइजरी जारी की थी। इसमें चीन जाने या वहां जाने का प्लान बनाने वाले ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को आगाह किया गया था कि वे ऐसा न करें। एपी के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया था, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया मानता है कि वर्तमान में चीन के हालात ऐसे नहीं हैं जहां पर उसके नागरिकों का जाना सही हो। एडवाइजरी में कहा गया था कि चीन में विदेशियों को मनगढ़ंत तरीके से हिरासत में लिया जा रहा है, इसलिए नागरिक वहां न जाएं। ऑस्ट्रेलिया का ये भी कहना था कि चीन की तरफ से ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि वो मानता है कि ये विदेशी लोग उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं।
चीन ने इस एडवाइजरी पर न सिर्फ नाराजगी जाहिर की है, बल्कि इसको चीन के खिलाफ एक दुष्प्रचार भी बताया है। रॉयटर्स के मुताबिक, चीन की तरफ से कहा गया है कि चीन में रहने वाला हर विदेशी नागरिक, जिसमें ऑस्ट्रेलियाई भी शामिल हैं, चीन के नियम कानूनों का पालन करने पर लंबे समय तक रह सकते हैं। ऐसे किसी भी विदेशी नागरिक को चीन में आने या रहने से डरने की कोई जरूरत नहीं है। चीन की तरफ से जारी ये बयान उसकी अपनी वेबसाइट पर भी मौजूद है।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि मई में दो दिवसीय 73वें विश्व स्वास्थ्य सभा से पहले 62 देशों ने एक मसौदा प्रस्ताव पेश करते हुए कोविड-19 महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया की स्वतंत्र जांच कराने का आग्रह किया था। इस प्रस्ताव को लाने और मसौदे को तैयार करने में यूरोपीय देशों के साथ ऑस्ट्रेलिया की भी अहम भूमिका थी। इस प्रस्ताव को भारत का भी साथ मिला था। एपी के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया का मानना है कि इसके फलस्वरूप चीन विदेशी नागरिकों पर चुन-चुनकर कार्रवाई कर रहा है। उन्हें गलत तरीके से हिरासत में लेकर उनपर झूठे आरोप लगाकर उन्हें जबरन मनवाने जैसे कृत्य भी कर रहा है। यही वजह थी कि ऑस्ट्रेलिया ने इस खतरे को देखते हुए एडवाइजरी जारी की थी।
हालांकि, इस तरह की एडवाइजरी के पीछे एक वजह और भी मानी जा रही है। दरअसल, पिछले दिनों चीन द्वारा विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के हांगकांग में लागू होने के बाद से ही वहां के लोगों पर बंदिशें बढ़ गई हैं। इसके मद्देनजर पिछले दिनों ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा था कि उनकी सरकार चीन से खतरे के मद्देनजर हांगकांग के लोगों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया करवा सकती है। इसके अलावा ऑस्ट्रलिया ने यांग हेंगजुन को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार करने पर भी चीन की काफी आलोचना की थी। यांग की गिरफ्तारी मार्च में की गई थी। इन दो कारणों से भी चीन ठस्ट्रेलिया से काफी हद तक नाराज है। समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया की तरफ से जारी एडवाइजरी के बारे में जब चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से सवाल किया गया था तब उन्होंने ऐसे किसी फैसले की जानकारी न होने की बात की थी। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा था कि चीन अपने यहां पर मौजूद हर विदेशी के मानवाधिकारों और उसकी सुरक्षा की गारंटी देता है।
ऑस्ट्रेलिया की तरफ से ये एडवाइजरी डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेन अफेयर्स एंड ट्रेड ने जारी की गई थी। इसमें यहां तक कहा गया था कि ऑस्ट्रेलिया में मौजूद वो चीनी नागरिक जो स्वदेश लौटना चाहते हैं उन्हें जितना जल्दी हो ऐसा कर लें। समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, विभाग की तरफ से जारी इस एडवाइजरी में ये स्पष्ट नहीं किया गया है कि इस चेतावनी के पीछे असल वजह क्या है। पिछले साल एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक रिपोर्ट भी जारी की थी। इसमें कहा गया था कि चीन ने मनमानी और गुप्त तरीके से हिरासत में लेने को वैध कर दिया है। इस रिपोर्ट में यहां तक कहा गया था कि यहां पर प्रताड़ित करने और झूठे बयानों पर हामी भरने का भी खतरा बढ़ गया है।
आपको बात दें कि बीते वर्ष दिसंबर में चीन के वुहान शहर से ही जानलेवा कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला था और आज इसके पूरी दुनिया में 11,981,301 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, इसकी वजह से पूरी दुनिया में अब तक 547,324 लोग मारे जा चुके हैं। मौजूदा समय में कोरोना वायरस की चपेट में सबसे अधिक अमेरिका है जहां पर 30 लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और 1.30 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
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