अमेरिका में चुनाव नजदीक आते ही चौकन्ना हुआ चीन, सैन्य विवाद टालने को दे रहा तरजीह
अमेरिका में जैसे जैसे चुनाव की तारीख करीब आती जा रही है चीन की धड़कने बढ़ने लगी हैं। चीन अमेरिकी चुनावों को लेकर बेहद सतर्क हो गया है। जानकारों का मानना है कि चीन अब अमेरिका के साथ टकराव और सैन्य विवाद टालने को प्राथमिकता दे रहा है।
बीजिंग, एएनआइ। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नजदीक आते ही चीन सावधान हो गया है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अंदरूनी सूत्रों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चीन और अमेरिका के संबंध कई दशकों में सबसे अनिश्चित और खतरनाक दौर में पहुंच गए हैं। साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट में शी जियांगताओ ने लिखा है कि चीनी नेतृत्व अमेरिका के साथ टकराव और सैन्य विवाद टालने को प्राथमिकता दे रहा है।
बेहतर संबंधों की आस में चीन
चीन को उम्मीद है कि नए राष्ट्रपति के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध बेहतर होंगे। हालांकि, शी जियांगताओ ने यह भी लिखा है कि राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम से लंबे समय के लिए संवैधानिक संकट उत्पन्न हो सकता है और हिंसा व अराजकता फैल सकती है। चीन सरकार के एक सलाहकार का कहना है कि यदि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक और कार्यकाल मिलता है, तो यह द्विपक्षीय संबंधों के लिए जोखिम भरा होगा।
उम्मीदवारों पर टिप्पणी करने से बच रहा चीन
चीन जहां राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों पर टिप्पणी करने से परहेज कर रहा है, वहीं दूसरे प्रेसिडेंशियल डिबेट में चीन का मुद्दा खूब उछला। डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और दक्षिण कोरिया के शासक किम जोंग-उन के साथ ठग करार दिया। उनका कहना था कि ट्रंप के इन लोगों के साथ अच्छे संबंध हैं।
यदि बिडेन जीते तो...
जियांगताओ के अनुसार, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बिडेन व्यक्तिगत तौर पर चीन विरोधी नहीं हैं। उनकी टिप्पणी से पता चलता है कि डेमोक्रेटिक पार्टी की चीन को अमेरिका के लिए दीर्घकालिक खतरा मानने की नीति में बदलाव आया है। अमेरिका में रहने वाले विश्लेषक डेंग युवेन का कहना है कि यदि बिडेन को जीत मिलती है, तो आने वाले दो-तीन महीने चीन-अमेरिका के संबंधों के इतिहास में संभवत: सबसे चुनौतीपूर्ण होंगे।
हारने पर ट्रंप चीन को ठहरा सकते हैं जिम्मेदार
वहीं यदि ट्रंप हारते हैं, तो वे चीन को इसके लिए दोष दे सकते हैं, क्योंकि उन्हें लगेगा कि यदि कोरोना वायरस महामारी नहीं आती, तो वे निश्चित तौर पर जीत जाते। वहीं चीन खुद को अमेरिका जैसी महाशक्ति बनने का ख्वाब भी देख रहा है। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने उस योजना पर मुहर लगाई है जिसमें 2027 तक सेनाओं का आधुनिकीकरण कर उन्हें अमेरिकी सेना के मुकाबले में खड़ा करना है।