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चीन की विदेश नीति में बदलाव, भारत बॉर्डर पर अब सिर्फ PLA के जवान होंगे तैनात

अब से चीन के बॉर्डर इलाकों का पूरा कंट्रोल पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) के पास रहेगा, इससे पहले ये जिम्मेदारी सीमा पुलिस के पास थी।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 12:52 PM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 12:55 PM (IST)
चीन की विदेश नीति में बदलाव, भारत बॉर्डर पर अब सिर्फ PLA के जवान होंगे तैनात

बीजिंग (पीटीआइ)। चीन का कोई भी फैसला विवाद पैदा न करें या फिर भारत समेत अन्य देशों की मुश्किलें न बढ़ाए, ऐसा हो नहीं सकता। इस बार भी चीन ने कुछ एेसा ही किया है। चीन ने अपनी बॉर्डर सुरक्षा नीति में बड़ा बदलाव किया है। जिसके तहत अब से चीन के बॉर्डर इलाकों का पूरा कंट्रोल पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) के पास रहेगा, इससे पहले ये जिम्मेदारी सीमा पुलिस के पास थी। इससे साफ जाहिर है कि इस फैसला का असर भारत पर पड़ेगा, पहले भी बॉर्डर पर भारत और चीन के सैनिक कई बार आमने-सामने आ चुके हैं।

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चीन ने आज अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन अपने सीमावर्ती सैनिकों को भारत के साथ अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए लाया है, सीधे सैन्य कमांड के तहत उन पर नागरिक नियंत्रण को हटा दिया गया है। पीएलए का सीधा नियंत्रण चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के हाथ में रहता है। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अध्यक्षता में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने पीपुल्स आर्म्ड पुलिस (पीएपी) से नागरिक-उन्मुख फ्रंटियर रक्षा सैनिकों की पूरी वापसी को देश की सशस्त्र बलों के सत्तारूढ़ दल के प्रबंधन को बढ़ाने की घोषणा की है।

चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के आधिकारिक वीचैट सार्वजनिक खाते द्वारा प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, जो सैनिक पूर्व में सशस्त्र पुलिस का हिस्सा थे और राज्य परिषद के संस्थानों द्वारा संचालित थे, अब आधिकारिक तौर पर वे पीपल्स लिबरेशन आर्मी और अन्य राष्ट्रीय सशस्त्र बलों पर पार्टी के पूर्ण नेतृत्व को पूरी तरह लागू करने के लिए इस प्रणाली से वापस ले लिए गए हैं। चीनी सैन्य विश्लेषकों ने कहा, सिविल मामलों में लगे सशस्त्र पुलिस बल इकाइयों की वापसी से पहले की जटिल श्रृंखला को कम करना होगा।

इसका यह भी अर्थ होगा कि 3,488 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के साथ तैनात लोगों सहित सीमावर्ती सैनिक सीधे पीएलए के तहत लाए जाएंगे, जो केन्द्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के नेतृत्व के तहत कार्य करेंगे, जिसकी अध्यक्षता शी जिंगपिंग करते हैं। बता दें कि शी राष्ट्रपति के अलावा सीपीसी के अध्यक्ष हैं, पार्टी के संस्थापक माओ ज़ेदोंग के बाद उन्हें सबसे शक्तिशाली नेता माना जाता हैं।


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