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चीन के खिलाफ अफ्रीकी देशों में भी उठे विरोधी सुर, सभी तरह के आर्थ‍िक रिश्‍ते तोड़ने की मांग

चीन के खिलाफ अफ्रीकी देशों में भी लामबंदी तेज होती जा रही है। अफ्रीकी देशों में विरोध कर रहे लोग चीन के साथ सारे आर्थिक संबंधों को खत्‍म करने की मांग कर रहे हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 25 Apr 2020 05:01 PM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2020 05:23 PM (IST)
चीन के खिलाफ अफ्रीकी देशों में भी उठे विरोधी सुर, सभी तरह के आर्थ‍िक रिश्‍ते तोड़ने की मांग

नैरोबी, एएनआइ। कोरोना महामारी के बीच चीन के खिलाफ यूरोप और अमेरिका में ही नहीं अब अफ्रीकी देशों में भी आवाज बुलंद होने लगी है। समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी अफ्रीकी देश अब चीन की ओर से मुहैया कराए गए फंडों और उसके निवेशों के फायदे और नुकसान का बारीकी से आकलन कर रहे हैं। महामारी से जूझ रहे स्‍थानीय लोग पूरे अफ्रीका में चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों की मांग है कि चीन के साथ सभी आर्थिक संबंधों को पूरी तरह से खत्‍म किया जाए क्योंकि चीनी फंड बेहद महंगे साबित हो रहे हैं।

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अफ्रीकी देशों में काम करने वाले चीनी नागरिकों के खिलाफ स्‍थानीय लोगों का गुस्‍सा इस कदर बढ़ चुका है कि वे उनके साथ शत्रुतापूर्ण व्‍यवहार करने लगे हैं। हाल के दिनों में कोरोना संकट के बीच चीन में भी अफ्रीकी मूल के लोगों के साथ बुरे बर्ताव और भेदभाव की रिपोर्टें सामने आई थीं। बीते दिनों चीन में अफ्रीकी मूल के लोगों के खिलाफ विरोध की लहर का ही नतीजा था कि अधिकांश अफ्रीकी लोगों को होटलों और उनके मकान मालिकों द्वारा निकाल दिया गया था जिससे वे बेघर हो गए थे। इस बारे में सीएनएन की रिपोर्ट भी सामने आई थी जिससे चीन और अफ्रीका के बीच तनाव पैदा हो गया था।

समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन घटनाओं ने चीन और अफ्रीकी देशों के कारोबारी रिश्‍तों पर गहरा आघात किया है। अफ्रीकी देशों के साथ व्‍यापार और कारोबारी रिश्‍तों को बनाने में चीन को दशों का समय लग गया था। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि साल 2019 में चीन और अफ्रीकी देशों के बीच 208 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था। धीरे धीरे चीन अफ्रीकी देशों में कई इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर परियोंजनाएं शुरू करने लगा था। इसे लेकर अमेरिका ने अफ्रीकी देशों को आगाह भी किया था और इसको चाइनीज डेब‍िट ट्रैप डिप्‍लोमेसी (Chinese debt trap diplomacy) करार दिया था। 

चीन के खिलाफ विरोध का आलम यह है कि तंजानिया ने भी अफ्रीकी देशों की कतार में शामिल होकर चीनी निवेश की पड़ताल शुरू कर दी है। रिपोर्टें हैं कि तंजानिया के राष्ट्रपति जॉन मैगूफुली (John Magufuli) ने अपने पूर्ववर्ती जकाया किवेटे (Jakaya Kikwete) द्वारा हस्ताक्षरित 10 बिलियन डॉलर के चीनी कर्ज के समझौते को रद कर दिया है। तंजानिया की ओर से चीन को यह बड़ा झटका है। हालांकि इस रिपोर्ट की पुष्टि अभी आधिकारिक तौर पर नहीं हो पाई है। बता दें कि चीन के खिलाफ बुलंद हो रही आवाजों में अमेरिका के साथ साथ कई यूरोपिय देश भी शामिल हो चुके हैं। 


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