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एक चौथाई जर्मन कंपनियां चीन छोड़ने की कर रहीं तैयारी, जानें- क्या है वजह

सर्वे के मुताबिक जो कंपनियां चीन छोड़ने पर विचार कर रही हैं उनके से करीब तिहाई कंपनियां पूरी तरह कारोबार हटाने की तैयारी में हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 11:06 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 11:07 PM (IST)
एक चौथाई जर्मन कंपनियां चीन छोड़ने की कर रहीं तैयारी, जानें- क्या है वजह

बीजिंग, एएफपी। बढ़ते परिचालन खर्च और विपरीत व्यापारिक स्थितियों के चलते करीब एक चौथाई जर्मन कंपनियां चीन छोड़ने की तैयारी कर रही हैं। जर्मन चेंबर ऑफ कॉमर्स के वार्षिक सर्वे में कहा गया है कि चीन में उत्पादन कर रही जर्मन मूल की करीब 23 परसेंट कंपनियों ने या तो उत्पादन बंद करने का निर्णय ले लिया है या इस पर गंभीरता से विचार कर रही हैं।

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इस संबंध में चीन में कार्यरत जर्मनी की 526 कंपनियों पर किए गए सर्वे के मुताबिक 23 परसेंट कंपनियों ने चीन से कारोबार समेटने का फैसला कर लिया है या इस पर विचार कर रही हैं। सर्वे के मुताबिक, जो कंपनियां चीन छोड़ने पर विचार कर रही हैं, उनके से करीब तिहाई कंपनियां पूरी तरह कारोबार हटाने की तैयारी में हैं। बाकी बची कंपनियां अपना कुछ कारोबार दूसरे देशों में ट्रांसफर करने वाली हैं। कम लागत के चलते भारत और दक्षिण एशियाई देश इन कंपनियों की पहली पसंद हो सकते हैं।

इकोनॉमी को संतुलित करने का प्रयास कर रहा चीन

गौरतलब है कि चीन अपनी इकोनॉमी को संतुलित करने का प्रयास कर रहा है। वह एक्सपोर्ट और निवेश से उपभोक्ता खर्च आधारित इकोनॉमी की ओर बढ़ रहा है। इसकी वजह से चीन में मानव संसाधन काफी मंहगा होता जा रहा है।

यही कारण है कि कंपनियों की परिचालन लागत में इजाफा हो रहा है। इसके अलावा अमेरिका और चीन में जारी ट्रेड-वार के कारण चीन से एक्सपोर्ट मंहगा पड़ रहा है। इससे लागत की तुलना में मुनाफे में कमी हो रही है। इस सर्वे में कहा गया है कि पिछले कुछ समय के दौरान चीन में व्यापार प्रत्याशा में गिरावट आई है। सर्वे के दौरान सिर्फ चौथाई कंपनियों ने इस वर्ष अपने लक्ष्य प्राप्त करने की उम्मीद जताई। जबकि एक तिहाई कंपनियों ने कहा कि चीन द्वारा विदेशी कंपनियों के हित के लिए उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं।

अन्य देशों की कंपनियां भी समेट रही हैं कारोबार

गौरतलब है कि जर्मनी से पहले कुछ और पश्चिमी देशों की कंपनियां चीन से अपना व्यापार समेटने की बात कह चुकी हैं। यह कंपनियां वियतनाम, थाइलैंड, इंडोनेशिया और भारत की ओर देख रहीं हैं। चीन के मुकाबले भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में सस्ता मानव संसाधन उपलब्ध है।


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