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... इसलिए जिम, थिएटर और होटलों में बदल गए इस शहर के चर्च

कनाडाई कैथोलिक की जनसंख्‍या में भारी कमी के कारण सुनसान पड़े चर्च को जिम, थिएटर या होटलों में बदल दिया गया।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 01 Aug 2018 11:44 AM (IST)Updated: Wed, 01 Aug 2018 03:40 PM (IST)
... इसलिए जिम, थिएटर और होटलों में बदल गए इस शहर के चर्च
... इसलिए जिम, थिएटर और होटलों में बदल गए इस शहर के चर्च

क्‍यूबेक (जेएनएन)। कनाडा के क्‍यूबेक शहर स्‍थित चर्च जब बंद होने की कगार पर पहुंच गए तब इन्‍हें या तो थिएटर या जिम में बदल दिया गया या फिर इनमें होटल खोल दिए गए। दरअसल, एक रिपोर्ट के अनुसार, कनाडाई कैथोलिक की जनसंख्‍या में आई कमी के कारण अप्रैल 2018 तक 547 चर्च में प्रार्थनाएं बंद हो गईं। खाली पड़े इन चर्चों को या तो बेच दिया गया या बंद पड़े हैं, अब इनमें थिएटर, जिम और होटल खुल गए हैं।

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मात्र 5 फीसद है कैथोलिक आबादी
उल्‍लेखनीय है कि 1950 के दशक में कैथेलिक आबादी 95 फीसद थी जो अब घटकर मात्र 5 फीसद हो गई है। ऐसे में चर्च जाने वालों की संख्या में खासी गिरावट आई है। इससे चर्च को मिलने वाली आर्थिक मदद भी कम हो गई और इनका रख-रखाव भी मुश्किल है। हैरिटेज ग्रुप्स और आर्किटेक्ट्स को इनकी ऐतिहासिक इमारतें गिरने का खतरा था।

थिएटर-जिम में बदला चर्च
न्‍यूयार्क टाइम्‍स के अनुसार, गेराल्‍ड संत जार्जेज ने 3 मिलियन डॉलर खर्च कर चर्च को थिएटर का रूप दिया है। गेराल्‍ड कहते हैं कि ऐसा कर वे कोई गलती नहीं कर रहे बल्‍कि चर्च के ही मिशन पूरा करते हुए कम्‍युनिटी की सेवा कर रहे हैं।

जिम बने चर्च में व्‍यायाम करते एक शख्‍स ने टाइम्‍स को बताया कि उनकी दादी धार्मिक थीं लेकिन उनके माता-पिता नहीं और न ही इनका जेनरेशन। लेकिन उनकी दादी इसी बात से खुश हैं कि कम से कम वह चर्च में तो हैं चाहे प्रार्थना के लिए न हो।

निजी जिंदगी में चर्च का दखल
जानकारों का कहना है कि क्यूबेक में चर्च कभी स्वास्थ्य और शिक्षा का केंद्र हुआ करते थे। उनका सामाजिक गतिविधियों में दखल था। चर्च तलाक प्रथा का विरोध करते थे। किताबों में वही पढ़ाया जाता था जो चर्च कहते थे। सेंट जॉर्जेज कहते हैं कि चर्च कई बार लोगों की निजी जिंदगी में दखल देते थे, जिसके चलते लोग विद्रोही हो जाते थे।

मॉन्ट्रियल के आर्कबिशप क्रिश्चियन लेपाइन के मुताबिक, ‘एक चर्च को निजी हाथों में इसलिए सौंप दिया गया क्योंकि धार्मिक अधिकारी इस बात को तय नहीं कर पाए कि उनका सही इस्तेमाल कैसे हो। जब एक चर्च बंद हो जाता है या उसका रूप बदल जाता है तो दुख होता है, लेकिन हमें सच्चाई तो स्वीकार करनी ही पड़ेगी।'


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