कनाडाई प्रांत में सरकारी कर्मियों को बुर्का, हिजाब, पगड़ी, टोपी और क्रॉस पहनने पर रोक
प्रांतीय सरकार के प्रमुख फ्रैंकाइस लीगॉल्ट ने इस कानून की पैरवी करते हुए कहा कि सरकार को धर्मनिरपेक्ष रखने के लिए यह बेहद जरूरी है।
मॉन्टि्रयल, न्यूयॉर्क टाइम्स। कनाडा के क्यूबेक प्रांत में स्कूल शिक्षकों, पुलिस कर्मियों और जजों समेत सभी सरकारी कर्मचारियों के धार्मिक पहनावे पर रोक लगा दी गई है। इस संबंध में प्रांतीय सरकार द्वारा प्रस्तावित कानून रविवार को 35 के मुकाबले 73 वोटों से पारित हो गया।
इस कानून में मुस्लिमों के बुर्का व हिजाब, सिखों की पगड़ी, यहूदियों की टोपी और ईसाइयों के क्रॉस समेत सभी तरह के धार्मिक चिह्नों या पहनावे को प्रतिबंधित कर दिया गया है। प्रांतीय सरकार के प्रमुख फ्रैंकाइस लीगॉल्ट ने इस कानून की पैरवी करते हुए कहा कि सरकार को धर्मनिरपेक्ष रखने के लिए यह बेहद जरूरी है। लेकिन विपक्षी नेताओं ने इस कानून को नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात बताया है।
मानवाधिकार और धार्मिक संगठनों का कहना है कि यह कानून कनाडा की बहु-सांस्कृतिक छवि को खराब करेगा। इसके चलते सिख, मुस्लिम और यहूदी अपना सरकारी पद छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे। मॉन्टि्रयल के कई सरकारी अधिकारियों, मेयर और स्कूल बोर्ड ने इस कानून को लागू नहीं होने देने की बात की है। ऐसे में प्रांत में सांस्कृतिक तनाव की स्थिति बन सकती है।
पहले भी हुआ था विरोध
इस कानून के विरोध में गत अप्रैल में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए थे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि धार्मिक चिह्न पहनना व्यक्ति का निजी फैसला है इससे उसकी सार्वजनिक जिम्मेदारियों पर कोई असर नहीं पड़ता।
कानूनी चुनौती देना आसान नहीं
नेशनल काउंसिल ऑफ कनाडियन मुस्लिम और द कनाडियन सिविल लिबर्टीज एसोसिएशन के साथ कुछ वकील भी कोर्ट में इस कानून को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। उनके लिए हालांकि यह आसान नहीं होगा। सरकार ने इस बिल में 'नॉटविथस्टैंडिंग क्लॉज' का इस्तेमाल किया है। संविधान में इसके तहत प्रांतीय सरकारों को धार्मिक और अभिव्यक्ति से जुड़ी कुछ स्वतंत्रताएं रद करने का अधिकार दिया गया है।
कई लोग समर्थन में भी
इस कानून के समर्थकों के अनुसार क्यूबेक के उदारवादी सिद्धांतों को बचाकर रखने के लिए यह जरूरी है। मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाले अकाउंटेंट अमानी बेन अम्मार ने कहा, 'सरकारी कर्मियों का निष्पक्ष रहना और नजर आना जरूरी है। यह तभी संभव है जब वह किसी तरह का धार्मिक चिह्न या पहनावा ना पहने।'
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