तिब्बती और भारतीय मूल के लोगों ने वैंकूवर में चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया
तिब्बती प्रवासी और भारतीय मूल के लोगों सहित विभिन्न संगठनों के सदस्यों ने चीनी वाणिज्य दूतावास कार्यालय के पास विरोध प्रदर्शन किया।
वैंकूवर [कनाडा], एएनआई। वैंकूवर में तिब्बती प्रवासी और भारतीय मूल के लोगों सहित विभिन्न संगठनों के सदस्यों ने 26 जुलाई को वैंकूवर आर्ट गैलरी में चीनी वाणिज्य दूतावास कार्यालय के पास चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले संगठनों में कनाडा तिब्बत समिति और तिब्बती समुदाय, फ्रेंड्स ऑफ कनाडा और इंडिया ऑर्गनाइजेशन, ग्लोबल पिनॉय डायस्पोरा कनाडा, वैंकूवर सोसाइटी ऑफ फ्रीडम, डेमोक्रेसी एंड चाइना में मानवाधिकार संगठन, वैंकूवर सोसायटी के समर्थन में लोकतांत्रिक आंदोलन (VSSDM) और वैंकूवर उइगर एसोसिएशन शामिल है। COVID-19 प्रतिबंधों के कारण प्रत्येक समाज में से अधिकतम 50 लोगों को ही प्रदर्शन में शामिल होने की अनुमति थी।
इस बीच, रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से आग्रह किया कि वे विशेष रूप से हांगकांग से गुजरने वाले चीनी एयरलाइंस में यात्रा न करें। वैंकूवर स्थित 'फ्रेंड्स ऑफ इंडिया' संगठन से जुड़े प्रोटेस्टर्स, पहले 4 जुलाई को यहां चीनी वाणिज्य दूतावास के बाहर इकट्ठा हुए थे, चीन में हिरासत में लिए गए कनाडाई - माइकल स्पावर और माइकल कोवरिग को छोड़ने की आवाज बुलंद की थी। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनका समूह बड़ा हो रहा है और अन्य समुदायों के समाज भी उनके साथ जुड़ने लगे हैं।
अभी कुछ दिनों पहले भी कनाडा के टोरंटो में चीनी वाणिज्य दूतावास के बाहर कम्युनिस्ट चीनी शासन के खिलाफ अलग-अलग बैकग्राउंड से आए सौ से अधिक टोरॉन्टोनियों ने विरोध प्रदर्शन किया। चीन के खिलाफ बोलते हुए प्रदर्शनकारियों ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से तिब्बत और हांगकांग को मुक्त करने का आग्रह किया और लद्दाख में चीनी आक्रमण का भी विरोध किया। उन्होंने कनाडा सरकार से कनाडा में चीनी सामानों का बहिष्कार करने का भी आग्रह किया। उन्होंने दो कनाडाई लोगों को रिहा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदायों से हस्तक्षेप करने को कहा, जिन्हें चीन सरकार ने बंधक बना रखा है। उन्होंने उइगरों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ भी आवाज उठाई। इस विरोध प्रदर्शन में तिब्बती और वियतनामी प्रवासी भी शामिल हुए। सभी प्रदर्शनकारियों ने कनाडा सरकार से चीन में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर प्रतिबंध लगाए जाने की आवाज को बुलंद करने की मांग की।