चिंताजनक: छह गुना तेजी से घट रहे हैं Tropical Forest, जंगली जीव-जंतुओं के लिए भी गहरा संकट
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन इलाकों में नई सड़कों का निर्माण हुआ था वहां वनों की कटाई के मामले ज्यादा देखे गए और यहां जंगली जानवरों का शिकार भी ज्यादा होने लगा था।
मेलबर्न, प्रेट्र। जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी में उष्णकटिबंधीय वन पुराने अनुमानों के मुकाबले छह गुना तेजी से घट रहे हैं। हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह दावा किया है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि यदि इसी गति से वन की संख्या घटती रही तो भविष्य में हमें गंभीर जलवायु संकट का सामना करना पड़ सकता है। यह अध्ययन जर्नल साइंस एडवांस में प्रकाशित हुआ है। इसमें बताया गया है कि वर्ष 2000 से लेकर 2013 के बीच ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ने का सबसे ज्यादा असर उष्णकटिबंधीय वनों पर पड़ा है।
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिर्टी ऑफ क्वींसलैंड (यूक्यू) के शोधकर्ता सीन मैक्सवल ने कहा, ‘वैश्विक भू-उपयोग में परिवर्तन के कारण भी वातावरण में ग्रीन हाउस गैसें ज्यादा घुल रही हैं।’ उन्होंने कहा कि वनों की घटती संख्या का अध्ययन करने के लिए आमतौर पर केवल ‘पल्स’ उत्सर्जन पर विचार किया जाता है। यह ऐसा उत्सर्जन है जिसके जंगल सर्वाधिक प्रभावित होते हैं, लेकिन नए अध्ययन में सभी कारकों का विश्लेषण किया गया है। इसमें जंगलों की कटाई, कार्बन उत्सर्जन, वनों का विस्तार और यहां रहने वाले जीवों के विलुप्त होने के प्रभावों को शामिल किया गया है।
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन इलाकों में नई सड़कों का निर्माण हुआ था, वहां वनों की कटाई के मामले ज्यादा देखे गए और यहां जंगली जानवरों का शिकार भी ज्यादा होने लगा था। शोधकर्ताओं ने कहा, ‘उष्णकटिबंधीय वन सघन होते हैं। लोग आसानी से यहां घुस नहीं सकते। यदि इन वनों के बीच से सड़कों का निर्माण किया जाता है तो पेड़ों की कटाई तो होती ही है।
साथ ही इससे जंगली जीव-जंतुओं के निवास भी खतरे में पड़ जाते हैं और शिकारी जीवों से बचने के लिए उन्हें दूसरे स्थानों की ओर कूच करना पड़ता है और वे ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं। ऐसे में जंगल का तंत्र भी प्रभावित होता है।’ मैक्सवेल ने कहा, ‘इन वनों की घटती संख्या के एक कारण ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन भी है। जिससे कारण हमारी जलवायु प्रभावित होती है। गर्मी बढ़ने पर मौसम का चक्र भी बदल जाता है और वनों को नुकसान पहुंचता है।
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के शोधकर्ताओं ने अध्ययन कर चिंता जताते हुए कहा कि वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्र बढ़ने से लगातार खराब हो रहे हैं हालात। बता दें कि उष्णकटिबंधीय वनों को वर्षा वन भी कहा जाता है। इनका घटना पर्यावरण के लिए चिंता का विषय है।