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Covid-19 के मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के उपयोग पर अमेरिकी सरकार से जुदा है विशेषज्ञों की राय

अमेरिका में कोरोना वायरस के मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के उपयोग को लेकर रार मची हुई है। इस संबंध में सरकार और विशेषज्ञों की राय बिल्‍कुल अलग है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 09:47 AM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 12:23 PM (IST)
Covid-19 के मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के उपयोग पर अमेरिकी सरकार से जुदा है विशेषज्ञों की राय
Covid-19 के मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के उपयोग पर अमेरिकी सरकार से जुदा है विशेषज्ञों की राय

वाशिंगटन। कोरोना वायरस पूरी दुनिया में अब तक 74697 लोगों की जान ले चुका है। पूरी दुनिया में अब तक इसके 1346566 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से अकेले अमेरिका में 367004 मामले सामने आए हैं। यहां पर अब तक इसकी वजह से 10871 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले दिनों अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप इस महामारी को रोकने में भारत से मदद करने की अपील भी की थी। उन्‍होंने कहा था कि भारत मलेरिया के इलाज में दी जाने वाली दवाई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की आपूर्ति करने का भी आग्रह किया था। हालांकि कुछ समय पहले ही भारत ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी। ट्रंप ने ये भी कहा था कि कोरोना मरीजों पर किए गए इस दवा के शुरुआती नतीजे काफी बेहतर आए हैं।

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उनके इस बयान के बाद माना जा रहा था कि अमेरिका में कोरोना वायरस के मरीजों पर इस दवा के इस्‍तेमाल की अनुमति दे दी गई है। लेकिन अभी ऐसा नहीं हुआ है। इतना ही नहीं इसको को लेकर अमेरिकी डॉक्‍टर एकमत नहीं हैं। डॉक्‍टरों का कहना है कि इसको लेकर कोई जल्‍दबाजी नहीं दिखानी चाहिए और इस पर अधिक परीक्षण करने की जरूरत है। गौरतलब है कि पूरी दुनिया में इस दवा का सबसे बड़ा निर्माता भारत ही है।

राष्‍ट्रपति ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो भी मानते हैं कि इस दवाई के कोरोना वायरस के मरीजों पर इस्‍तेमाल में कोई खराबी नहीं है। राष्‍ट्रपति ट्रंप द्वारा व्‍हाइट हाउस की प्रेस कांफ्रेंस में इस दवाई को लेकर दिए गए बयानों के अगले दिन नवारो ने एक टीवी इंटरव्‍यू के दौरान ये बातें कहीं थीं। ट्रंप ने कहा था कि वो डॉक्‍टर नहीं हैं, लेकिन उनमें कॉमन सेंस जरूर है। नवारो के मुताबिक अमेरिकी राष्‍ट्रपति कोरोना वायरस से हो रही मौतों से आहत है और जल्‍द से जल्‍द इसका उपाय करना चाहते हैं। उन्‍हें उम्‍मीद है कि ये दवा कोरोना मरीजों पर कारगर साबित हो सकती है।

हालांकि राष्‍ट्रपति की इस राय पर मेडिकल से जुड़े विशेषज्ञों ने उन्‍हें आगाह किया है। इन विशेषज्ञों का कहना है कि ये खतरनाक भी हो सकता है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के अध्‍यक्ष डॉक्‍टर पेट्रीक हैरिस वह निजी तौर पर इस दवा को किसी भी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज को प्रेसक्राइब नहीं करना चाहूंगी। उनके मुताबिक इस दवा से होने वाला साइड इफेक्‍ट उस राहत से कहीं अधिक होगा जिसकी हम उम्‍मीद कर रहे हैं। बिना परीक्षण और जांच के इस दवा का इस्‍तेमाल सही नहीं होगा। कोरोना वायरस को लेकर शनिवार को व्‍हाइट हाउस में जो बैठक हुई थी वहां काफी गरमागरम रही।

नवारो ने इस बैठक में अमेरिका के टॉप यूएस इंफेक्शियस डिजीज एक्‍सपर्ट डॉक्‍टर एंथनी फॉकी को चैलेंज तक कर डाला था। डॉक्‍टर एंथनी की राय में भी इसका उपयोग पूरे परीक्षण के बाद ही किया जाना चाहिए। इस पर नवारो ने फॉकी को ये कहते हुए रोक दिया था कि उनके पास जो रिपोर्ट और जानकारी हैं वह इसके इस्‍तेमाल के लिए काफी हैं। उनका ये भी कहना था कि मौजूदा जानकारियां इस दवा को कारगर बता रही हैं। आपको बता दें कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का उपयोग अमेरिका में आर्थराइटिस और मलेरिया के मरीज पर ही करने की इजाजत है।

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