Move to Jagran APP

Wheat Export Ban: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं के दाम में आया उछाल, भारत के निर्यात प्रतिबंध के बाद मची हलचल

सोमवार को भारत द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की कीमतों में भारी उछाल आया है। खाद्य मुद्रास्फीति का मुकाबला करने के लिए व्यापार प्रतिबंधों का उपयोग करने वाला भारत नवीनतम देश है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 07:44 PM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 11:01 PM (IST)
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की कीमतों में भारी उछाल आया है।

लंदन/वाशिंगटन, रायटर। सोमवार को भारत द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की कीमतों में भारी उछाल आया है। खाद्य मुद्रास्फीति का मुकाबला करने के लिए व्यापार प्रतिबंधों का उपयोग करने वाला भारत नवीनतम देश है। यूक्रेन में युद्ध से प्रभावित विश्व गेहूं की आपूर्ति को और कम करने की धमकी दी गई है।

loksabha election banner

अमेरिका और यूरोप में गेहूं वायदा बाजार लगभग 6% चढ़ गया। वैश्विक बेंचमार्क शिकागो बाजार पहले ही अपनी दैनिक व्यापार सीमा तक पहुंच गया और पेरिस की कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं हैं। अपने ओवरनाइट ट्रेडिंग सत्र के अंत तक शिकागो का वायदा पहले के दो महीने के शिखर से 4.9% ऊपर थे। यूएन की खाद्य एजेंसी द्वारा मापी गई वैश्विक खाद्य कीमतों के लिए गेहूं ने इस वर्ष उच्च रिकॉर्ड करने में योगदान दिया है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से यूक्रेन के समुद्री बंदरगाहों से बड़े पैमाने पर शिपमेंट को रोककर गेहूं के बाजार में वृद्धि हुई है। यूक्रेन वैश्विक निर्यात में 12 फीसद का भागीदार है। उसे कृषि का पावरहाउस भी कहा जाता है।

यूरोप के बाजार में गेंहूं का दाम बढ़कर प्रति टन 435 यूरो पहुंच गया। 24 फरवरी को रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से गेहूं के वैश्विक दाम सप्लाई में कमी के डर के कारण बढ़ गए हैं।

वैश्विक बाजार का मूड भांपकर भारत ने गेहूं निर्यात से खींचा हाथ

ज्यादातर देशों ने गेहूं निर्यात पर अपने-अपने तरीके से प्रतिबंध लगाया है। पिछले कुछ दिनों में आटे के मूल्य में 35 से 40 प्रतिशत तक की वृद्धि को देखते हुए समिति के कान खड़े हो गए थे। गेहूं की पैदावार में अनुमानित कमी और निर्यात में वृद्धि को देखते हुए जिंस बाजार में गेहूं और उससे बने उत्पादों के मूल्य में तेजी का रुख होने लगा था। इस पर काबू पाना जरूरी था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय गेहूं के स्टाकिस्टों और सटोरियों के सक्रिय होने की आशंका भी बढ़ गई थी।

महंगाई पर काबू पाने के लिए गेहूं निर्यात पर लगाया प्रतिबंध

केंद्र सरकार ने कहा कि घरेलू बाजार में महंगाई पर काबू पाने के लिए सतर्कता बरतते हुए यह कदम उठाया गया है। इसके अलावा मार्च महीने में अब तक का सबसे अधिक तापमान रहने के बाद गेहूं का निर्यात रोक लगाई गई।

कम उत्पादन और तेजी से बढ़ते वैश्विक दामों की वजह से वह अपनी 140 करोड़ जनसंख्या की खाद्य सुरक्षा के लिए चिंतित है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने देश में खाद्यान्न की पर्याप्त उपलब्धता का दावा करते हुए बताया था कि सरकारी स्टाक में आज की तारीख में 6.5 करोड़ टन खाद्यान्न का स्टाक है। गेहूं की उपलब्‍धता बनाए रखने के लिए राशन प्रणाली में गेहूं और चावल के अनुपात में मामूली बदलाव कर संतुलित किया गया है। जबकि कृषि सचिव मनोज आहूजा ने गेहूं की पैदावार में आई गिरावट का ब्यौरा दिया। उन्होंने बताया कि फरवरी में आए एडवांस एस्टीमेट में गेहूं का कुल उत्पादन 11.12 करोड़ टन होने का अनुमान था। हालांकि दूसरे एस्टीमेट में यह घटकर 10.5 करोड़ टन हो गया है।

गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के फैसले की आलोचना

वहीं भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के फैसले की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पूरे विश्व में गेहूं की मांग बढ़ी हुई है और हमारे पास सरप्लस अनाज पड़ा है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.