दुनिया में सबसे अधिक तेल भंडार वाले इस मुल्क में रोटी के पड़े लाले, जानें क्या है मामला
वेनेजुएला की राजधानी में रह रही एलिजाबेथ पिनेडा की यह कहानी आपको झकझोर कर रख सकती है। लेकिन उनकी यह कहानी यहां के आर्थिक हालात को समझने के लिए काफी है।
काराकस/वाशिंगटन [ एजेंसी ]। वेनेजुएला में सत्ता के लिए जारी संघर्ष के चलते वहां के राजनीतिक और आर्थिक हालात बद्तर हो चुके हैं। इस संघर्ष के कारण देश में भयंकर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। हालात ये हैं कि लोग दो जून की रोटी के लिए तरस रहे हैं।
वेनेजुएला में सत्ता संघर्ष और अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों के बाद यहां महंगाई चरम पर पहुंच गई है। महंगाई में 13 लाख फीसद की वृद्धि हुई है। वेनेजुएला की राजधानी में रह रही एलिजाबेथ पिनेडा की यह कहानी आपको झकझोर कर रख सकती है। लेकिन उनकी यह कहानी यहां के आर्थिक हालात को समझने के लिए काफी है। एलिजाबेथ वेनेजुएला की राजधानी काराकस में रहती हैं। वह वहां सचिव पद से रिटायर हुईं हैं। रिटायर होने के बाद वह 18,000 वोलिवर पेंशन पाती हैं। इस रकम की कीमित छह अमेरिकी डालर है। यानी भारत के रुपये से तुलना की जाए तो महज 4300 रुयये है।
काराकस में सत्ता संघर्ष के बाद उनके लिए रोटी का संकट खड़ा हो गया। वेनेजुएला में एक मीट सूप की कीमत करीब ढेड़ डॉलर है। यानी उनके एक महीन के पेंशन का पैसा महज चार बार मीट सूप पीनेभर का है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां किस कदर महंगाई बढ़ गई है। ऐलिजाबेथ जिंदा रहने के लिए महज आधा कटोरा मीट सूप का सेवन कर रहीं हैं। इस सूप को वह दो लोगों के साथ साझा कर रही हैं। ऐलिजाबेथ वहां के राजनीतिक संघर्ष से उब चुकी हैं।
वेनेजुएला न जाने की सलाह
उधर, राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार के खिलाफ नए आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा के बाद अमेरिकी प्रशासन चौंकन्ना हो गया है। अमेरिका ने यह आशंका जाहिर की है कि वेनेजुएला में अमेरिकियों को निशाना बनाया जा सकता है। अमेरिकी प्रशासन ने यह चेतावनी जारी किया है वह वेनेजुएला की यात्रा नहीं करें। अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार को कहा कि वेनेजुएला में रहने वाले या यात्रा करने वाले अमेरिकी नागरिकों को वेनेजुएला को छोड़ने पर दृढ़ता से विचार करना चाहिए। विभाग ने कहा कि इसके लिए वेनेजुएला से वाणिज्यिक उड़ानें उपलब्ध हैं। नागरिकों की सुरक्षा को देखते हुए कि काराकस में अमेरिकी दूतावास खुला है, लेकिन आपातकालीन सेवाएं प्रदान करने की सीमित क्षमता है।
स्वर्ण भंडार को भी लाभ नहीं ले पा रहे हैं मादुरो
बता दें कि वेनेजुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा तेल भंडार है। यह तेल भंडार राष्ट्रपति निकोला मादुरो के हाथों में हैं। लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते मादुरो इस तेल भंडार का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इसके अलावा पिछले वर्ष अमेरिका के संघीय रिजर्व ने दिशा निर्देशों के बाद मादुरो विदेशों से मिलने वाली आय से भी वंचित हो गए। वेनेजुएला के पास प्रचुर मात्रा में स्वर्ण है, लेकिन वह स्वर्ण भंडार बैंक ऑफ इंग्लैंड की तिजोरी में बंद है। संघीय रिजर्व के बाद मादुरो इसके इस्तेमाल में असर्मथ हैं।
अमेरिका ने वेनेजुएला की सरकारी तेल कंपनी पर लगाया प्रतिबंध
बता दें कि वेनेजुएला के निर्वाचित राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर शिकंजा कसते हुए अमेरिका ने वहां की सरकारी तेल कंपनी पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। इससे वेनेजुएला को सालाना सैकड़ों अरब रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा। देश का एक तबका और विपक्षी पार्टियां 35 वर्षीय जुआन गुएडो के समर्थन में खड़ी हो चुकी हैं। राष्ट्रपति निकोला मादुरो को चुनौती दे रहे गुएडो खुद को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर चुके हैं। अमेरिका और जर्मनी समेत कई पश्चिमी देश गुएडो का समर्थन कर चुके हैं। वहीं रूस और चीन बाहरी देशों से वेनेजुएला में दखल नहीं देने की अपील कर रहे हैं।
अमेरिका ने स्वयंभू राष्ट्रपति जुआन गुएडो को सत्ता सौंपने के लिए मादुरो पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत ये पाबंदी लगाई है। पेट्रोलिओस डी वेनेजुएला, एसए या पीडीवीएसए पर प्रतिबंध लगने से अमेरिकी उद्यमी और कंपनियां अब उसके साथ कोई कारोबार नहीं कर सकेंगी।
वेनेजुएला अपने तेल उत्पादन का 41 फीसद अमेरिका को निर्यात करता है। ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि वित्तीय पेनाल्टी के बाद वेनेजुएला की लगभग पांच सौ अरब रुपये की संपत्ति ब्लॉक हो जाएगी, जबकि सालाना उसे तेल के निर्यात से होने वाली लगभग आठ सौ अरब रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना पडे़गा। पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे वेनेजुएला के लिए मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।
यूरोपीय संघ की धौंस
यूरोपीय संघ ने मादुरो से कहा है कि अगर उन्होंने 8 दिन के भीतर नए चुनावों का एलान नहीं किया तो ईयू गुआइदो को अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में मान्यता दे देगा। अगर ऐसा हुआ तो वेनेजुएला का तेल उत्पादन काफी हद तक ठप पड़ जाएगा। वहीं, 2.9 करोड़ की आबादी वाले देश में महंगाई पहले ही आसमान छू रही है और पूरे देश में खाने की किल्लत लगातार हो रही है, जिसके और गंभीर होने की आशंका है।