चीन की गलत नीतियों से अमेरिकी वर्करों के बचाव में जुटा बाइडन प्रशासन
अमेरिका चीन ट्रेड को लेकर बीजिंग की ओर से अपनाई जाने वाली नीतियों को गलत बताते हुए कॉमर्स सेक्रेटरी गिना रायमोंडो ने बाइडन प्रशासन की ओर से वाशिंगटन के बिजनेस व वर्करों को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया।
वाशिंगटन, प्रेट्र। चीन की गलत नीतियों से बचाव को लेकर अमेरिका में नया बाइडन प्रशासन योजनाएं बना रहा है। अमेरिका की कॉमर्स सेक्रेटरी गिना रायमोंडो (Gina Raimondo) ने कहा कि बाइडन प्रशासन अमेरिकी वर्करों व उनके बिजनेस को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। चीन की व्यापार नीतियों को अनुचित बताते हुए उन्होंने व्हाइट हाउस के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीन के साथ संबंध बरकरार रखने के क्रम में अमेरिका का पुनर्निर्माण आवश्यक है।
चीन की व्यापार नीतियों को अनुचित बताते हुए उन्होंने व्हाइट हाउस के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीन के साथ संबंध बरकरार रखने के क्रम में अमेरिका का पुनर्निर्माण आवश्यक है। आयातित एल्युमिनियम पर ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ का हवाला देते हुए उन्होंने कहा,'हमें अपने सहयोगियों के साथ काम करना होगा और एक सामान्य सतह की तलाश करनी होगी जहां हम मिलकर काम कर सकें। आपको स्टील और एल्युमिनियम पर 232 टैरिफ के बारे में जानकारी है जिससे स्टील और एल्युमिनियम इंडस्ट्रीज में अमेरिकी नौकरियों को बचाने में मदद मिली।
चीन जिन मामलों में अमेरिका पर दबाव बना रहा है उनमें कारोबार और प्रौद्योगिकी से संबंधित शिकायतें शामिल हैं। इन्हीं की वजह से ट्रंप ने 2017 में चीन से आयातित वस्तुओं पर कर बढ़ा दिया और चीनी प्रौद्योगिकी कंपनियों एवं शैक्षणिक कार्यक्रमों के आदान-प्रदान पर प्रतिबंध लगा दिया। चीन अब इन पाबंदियों से बेहद परेशान है क्योंकि कोविड-19 के बाद वह देश की अर्थव्यवस्था सुधारना चाहता है।
बता दें कि समूचे अमेरिका के यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से 55 कंफ्यूशियस इंस्टीट्यूट का संचालन किया जातर है। यह संस्थान चीन की एक खास विचारधारा से प्रेरित हैं ये चीनी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देते हुए किसी खास राज्य या देश में पैठ बना लेते हैं। सीनेटर हावले ने कहा, 'कंफ्यूशियस इंस्टीट्यूट से अमेरिकी यूनिवर्सिटी के जरिए घुसपैठ की कोशिश होती है।' कन्फ्यूशियस संस्थान चीन की सरकार से सीधे फंडिंग पाते हैं। इस फंडिंग के आधार पर ये दूसरे देशों के कॉलेज या यूनिवर्सिटीज से संपर्क करते हैं और वहां पर चीनी भाषा सिखाने या चीनी संस्कृति सिखाने की बात करते हैं।