पीएम मोदी से अगले हफ्ते मुलाकात करेंगे अमेरिकी उपराष्ट्रपति पेंस
अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस अगले हफ्ते अपनी चार देशों की यात्रा के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे।
वाशिंगटन,एजेंसी। अमेरिका के उप-राष्ट्रपति माइक पेंस अगले हफ्ते अपनी चार देशों की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे। व्हाइट हाउस ने बताया कि इसी दौरान पेंस अमेरिका-आसियान सम्मेलन और सिंगापुर में आयोजित हो रहे पूर्वी एशिया सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे। सामान्य तौर पर इन सम्मेलनों में अमेरिका के राष्ट्रपति हिस्सा लेते हैं।
लेकिन इस बार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुरोध पर पेंस अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। पेंस 11 से 18 नवंबर के बीच जापान, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया और पापुआ न्यू गिनी जाएंगे। इस दौरान वह अमेरिका-आसियान सम्मेलन, सिंगापुर में आयोजित हो रहे पूर्वी एशिया सम्मेलन और पापुआ न्यू गिनी में आयोजित एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) की बैठक में हिस्सा लेंगे।
व्हाइट हाउस ने बताया कि पेंस अपनी यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली हसिंग लूंग, पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री पीटर ओ’नील और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन से मिलेंगे।
व्हाइट हाउस के अनुसार माइक पेन्स जापान के प्रधान मंत्री शिन्जो आबे,सिंगापुर के प्रमुख ली हसीन लूंग,पापुआ न्यू गिनी के प्रधान मंत्री पीटर ओ'नील और ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री स्कॉट मॉरिसन के साथ अन्य द्विपक्षीय बैठकों में भी भाग लेंगे।
उपराष्ट्रपति पेंस के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन सिंगापुर में यूएस-एशियान शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और पापुआ न्यू गिनी में एपीईसी बैठक में शामिल होंगे।
उपराष्ट्रपति के प्रेस सचिव एलिसा फराह ने कहा कि उपराष्ट्रपति को अगले हफ्ते अमेरिकी-एशियान शिखर सम्मेलन और एपीईसी में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है,जहां वे स्वतंत्रता,आर्थिक समृद्धि और भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के प्रति अमेरिकी नेतृत्व के वचनबद्धता को रेखांकित करेंगे।
एलिसा फराह ने कहा कि यह माइक पेन्स की उपराष्ट्रपति के तौर पर इन क्षेत्रों की तीसरी यात्रा होगी। वे वहां यह संदेश भी देंगे कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में किसी भी देश द्वारा सत्तावाद,आक्रामकता और अन्य राष्ट्रों की सार्वभौमिकता के लिए उपेक्षा को संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।