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जो बाइडन ने किया वादा, अमेरिका 22 हजार अफगानों को करेगा एयरलिफ्ट

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलवेन ने बताया कि व्हाइट हाउस को रिपोर्ट मिली है कि एयरपोर्ट के बाहर कई लोगों को पीटा गया है जबकि उन नागरिकों को सुरक्षित जाने देने के लिए बातचीत हो चुकी थी।

By Neel RajputEdited By: Published: Thu, 19 Aug 2021 07:23 PM (IST)Updated: Thu, 19 Aug 2021 07:23 PM (IST)
जो बाइडन ने किया वादा, अमेरिका 22 हजार अफगानों को करेगा एयरलिफ्ट
तालिबानी हमलों के चलते जोखिम से भरा है रेस्क्यू अभियान

नई दिल्ली, आइएएनएस। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने वादा किया है कि वह उन 22 हजार अफगानों को अफगानिस्तान से सुरक्षित 'एयरलिफ्ट' करेंगे जो खतरा उठाकर अब तक अमेरिकी सरकार की मदद करते आए हैं। इनमें से बहुत से अफगान नागरिक तालिबानी रुकावटों के कारण प्रांतों में ही फंसे हुए हैं और अभी भी काबुल तक नहीं पहुंच पाए हैं। इनमें से जो अफगान नागरिक काबुल पहुंच भी गए हैं, वह एयरपोर्ट के अंदर नहीं जा पा रहे क्योंकि काबुल स्थित हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर तालिबानी लड़ाकों ने कई विशेष चेक पोस्ट बना रखे हैं।

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एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि विशेष आव्रजन वीजा (एसआइवी) प्रक्रिया के जरिये बाहर निकलने की योजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए बहुत सारी चीजों का सौ फीसद सही होना जरूरी है। पेंटागन ने 22 हजार एसआइवी धारकों और उनके परिवारों को अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकालने का बीड़ा उठाया है। हालांकि जो बाइडन ने जुलाई में ही अफगानों को बाहर निकालने की शुरुआत कर दी थी। लेकिन इसके बावजूद केवल दो हजार अफगानों को ही अमेरिका पहुंचाया जा सका था। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलवेन ने बताया कि व्हाइट हाउस को रिपोर्ट मिली है कि एयरपोर्ट के बाहर कई लोगों को पीटा गया है, जबकि उन नागरिकों को सुरक्षित जाने देने के लिए बातचीत हो चुकी थी। हालांकि 31 अगस्त तक इस लक्ष्य को पूरा कर पाना बेहद कठिन लगता है।

गार्जियन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार आस्ट्रेलिया सरकार के लिए काम करने वाले एक अफगानी दुभाषिए को बुधवार की सुबह एयरपोर्ट के बाहर एक ऐसे ही तालिबानी चेकपोस्ट पर पैर में गोली मार दी गई थी, जब वह कार में अपने परिवार के साथ आस्ट्रेलिया की सैन्य फ्लाइट पकड़ने के लिए एयरपोर्ट जा रहा था। नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलेनबर्ग ने सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि अफगानों को काबुल एयरपोर्ट पर पहुंचने में भारी जोखिम उठाना पड़ रहा है। नाटो काबुल में तालिबानी नेताओं के संपर्क में है। ताकि ऐसे लोगों को एयरपोर्ट तक जाने की इजाजत मिल सके।

काबुल में भारतीय दूतावास कर्मी भी एक दिन तक ऐसे ही फंसे रहे थे क्योंकि वह सोमवार को काबुल के हवाई अड्डे तक नहीं पहुंच सके थे। लेकिन फिर तालिबानी नेतृत्व से संपर्क स्थापित हो गया और मंगलवार को वह भारतीय वायुसेना के विमान में बैठने के लिए हामिद करजई एयरपोर्ट पहुंच गए थे। सशस्त्र तालिबानी लड़ाकों ने खुद अपनी निगरानी में भारतीय सामान को एयरपोर्ट तक पहुंचवाया है।

बचाव अभियान के अहम पड़ाव :- 

-संयुक्त राष्ट्र के सौ कर्मचारियों को अफगानिस्तान से कजाखस्तान लाया जाएगा।

-डेनमार्क के 84 लोगों को अफगानिस्तान से कोपेनहेगन लाया जाएगा।

-स्पेन ने भी काबुल से कुल 53 लोगों को मैड्रिड पहुंचाया है। अफगान कर्मियों और उनके परिवारों को लाने के लिए स्पेन ने दो और विमानों का इंतजाम किया है।

-यूरोपीय संघ ने अपने 106 कर्मचारियों को काबुल से मेड्रिड पहुंचाने का इंतजाम कर लिया है। 300 से अधिक अफगानी कर्मचारियों को काबुल से बाहर निकालना बाकी है।

 -नीदरलैंड का डच परिवहन सैन्य विमान काबुल से अपने लोगों को लेकर एमेस्टरडम पहुंच गया है। इसमें 35 डच नागरिकों के साथ बेल्जियम, जर्मनी और ब्रिटेन के नागरिक भी हैं।

-रोमानिया के विदेश मंत्रालय के अनुसार अपने एक नागरिक को नाटो के सैन्य विमान सी-130 हरक्यूलियस से काबुल एयरपोर्ट से इस्लामाबाद पहुंचा दिया है।


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