अफगानिस्तान के साथ शांति समझौता करना चाहता है अमेरिका
पिछले महीने दोहा में तालिबान के साथ हुई वार्ता के दौरान संधि की रूपरेखा पर ही सहमति बन पाई थी। समझौते पर पहुंचने के लिए लंबा रास्ता तय करना अभी बाकी है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी सरकार युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से केवल अपने सैनिक हटाने के लिए ही समझौता नहीं करना चाहती है। आतंकी संगठन तालिबान से बातचीत में अहम भूमिका निभा रहे अमेरिका के विशेष राजदूत जालमे खलीलजाद ने कहा कि हमारी सरकार शांति समझौता करना चाहती है।
संधि के लिए वार्ता शुरू होने के बाद अपनी पहली सार्वजनिक उपस्थिति के दौरान खलीलजाद ने कहा, 'पिछले महीने दोहा में तालिबान के साथ हुई वार्ता के दौरान संधि की रूपरेखा पर ही सहमति बन पाई थी। समझौते पर पहुंचने के लिए लंबा रास्ता तय करना अभी बाकी है।' यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस (यूएसआइपी) में बातचीत करते हुए राजदूत ने शांति समझौते के लिए क्षेत्रीय पक्षों जैसे कि पाकिस्तान आदि की भूमिका को भी अहम माना। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान का भविष्य सुनिश्चित करने के लिए वहां के दोनों पक्षों (सरकार व तालिबान) में वार्ता होना बहुत जरूरी है।
चुनाव से पहले शांति समझौते की कोशिश
अमेरिका को उम्मीद है कि अफगानिस्तान में होने वाले चुनाव से पहले ही शांति समझौते पर सभी पक्षों की सहमति बन जाएगी। जुलाई माह में वहां राष्ट्रपति चुनाव होना है। अमेरिकी राजदूत ने कहा कि यदि चुनाव से पहले संधि हो जाती है तो यह अफगानिस्तान के हित में होगा।
अमेरिका के कहने पर पाक ने तालिबानी आतंकी को छोड़ा
पाकिस्तान ने तालिबान के बड़े आतंकी मुल्ला अब्दुल गनी बरदार को अमेरिका के कहने पर ही रिहा किया था। शांति वार्ता में पाकिस्तान की भूमिका के सवाल पर अमेरिकी राजदूत ने कहा, 'पाकिस्तान ने हमारे कहने पर मुल्ला को रिहा किया था। शांति वार्ता में तालिबान की ओर से मुल्ला ही बात कर रहा है।' बता दें कि पाकिस्तान ने 2010 में कराची से उसे गिरफ्तार किया था। पिछले साल अक्टूबर में उसे रिहा किया गया था।