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अमेरिका ने रिपोर्ट में किया खुलासा, चीन की विस्तारवादी मुहिम का हिस्सा है गलवन की झड़प

दक्षिण एशिया में कई देशों के भूभाग पर चीन अपनी सैन्य ताकत के बल पर धीरे-धीरे कब्जा कर रहा है। दस्तावेजों के आधार पर अमेरिका की न्यूज एंड व‌र्ल्ड रिपोर्ट में जानकारी दी गई है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sat, 18 Jul 2020 06:32 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jul 2020 06:32 PM (IST)
अमेरिका ने रिपोर्ट में किया खुलासा, चीन की विस्तारवादी मुहिम का हिस्सा है गलवन की झड़प
अमेरिका ने रिपोर्ट में किया खुलासा, चीन की विस्तारवादी मुहिम का हिस्सा है गलवन की झड़प

वाशिंगटन, एएनआइ। पूर्वी लद्दाख की गलवन घाटी में हुई झड़प भारत और चीन के सैनिकों के अचानक आमने-सामने आ जाने की वजह से नहीं हुई थी। बल्कि यह खूनी संघर्ष चीन की व्यापक विस्तारवादी मुहिम का हिस्सा थी। दक्षिण एशिया में कई देशों के भूभाग पर चीन अपनी सैन्य ताकत के बल पर धीरे-धीरे कब्जा कर रहा है। दस्तावेजों के आधार पर अमेरिका की न्यूज एंड व‌र्ल्ड रिपोर्ट में जानकारी दी गई है।

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पिछले महीने हुई इस हिंसा में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के मुताबिक इस झड़प में चीन के 35 से ज्यादा जवान मारे गए थे, हालांकि उसने अभी तक इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। इस मामले पर भारत सरकार के नजरिए को प्रस्तुत करते दस्तावेजों के हवाले से यूएस न्यूज के राष्ट्रीय सुरक्षा संवाददाता पॉल डी शिंकमैन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नई दिल्ली लद्दाख की इस घटना को चीन की व्यापक साम्राज्यवादी मुहिम की कड़ी मानता है।

अपनी इस मुहिम में चीन सीधे सैन्य कार्रवाई से बचता है। इसके बदले में वह विभिन्न देशों की संप्रभुता और अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की नीति पर चलता है और उनके क्षेत्रों में घुसपैठ करता है।

महामारी का दुरुपयोग कर रहा है चीन 

शिंकमैन का दावा है कि इन दस्तावेजों का पहले कभी प्रकाशन नहीं हुआ है। दक्षिण एशिया के हालात पर नजर रखने वाले कई विश्लेषकों ने भी समर्थन किया है। यह रिपोर्ट अमेरिका की उन आशंकाओं के बीच आई है, जिसके मुताबिक बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर और हांगकांग सहित अपनी सीमा के अन्य हिस्सों में क्षेत्रीय दावों को सुरक्षित करने के लिए कोरोनावायरस महामारी से पैदा हुए अंतरराष्ट्रीय हालात का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन की इस मुहिम के जवाब में ट्रंप प्रशासन ने भी कार्रवाई की है, जिससे पिछले हफ्ते तनाव बढ़ा है।

शिंकमैन ने कहा है कि भारत और चीन के बीच इस तरह की हिंसक घटनाएं 2010 और 2014 में भी हो चुकी हैं। 2017 में सिक्किम के डोकलाम इलाके में भी दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प की स्थिति पैदा हो गई थी। हालांकि, उनकी रिपोर्ट कहती है कि लद्दाख से पहले के मामलों में तनाव बढ़ा जरूर था, लेकिन उनका समाधान शांतिपूर्ण तरीके से हो गया था।

सीपीईसी के लिए भारत को खतरा मानता है चीन 

रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग अरबों डॉलर की लागत अपनी महत्वाकांक्षी चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना के लिए लद्दाख में भारतीय सैनिकों को खतरा मानता है। यह गलियारा उसके बेल्ड एंड रोड अभियान का हिस्सा है। वह पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट का भी विकास कर रहा है। इसलिए वह भारतीय क्षेत्रों पर कब्जा करना चाहता है ताकि सीपीईसी के रास्ते ग्वादर बंदरगाह तक उसकी पहुंच आसान और बेरोकटोक हो। 


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