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कोरोना वायरस और उसके वैरिएंट को रोकने में सक्षम दवा विकसित, जानें कैसे करती है काम

अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक ऐसी दवा विकसित की है जो न सिर्फ सार्स-सीओवी-2 (SARS CoV-2) वायरस का प्रसार रोकती है बल्कि श्वसन तंत्र में संक्रमण का इलाज भी करती है। चूहों पर इस दवा का प्रयोग सफल रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 05:24 PM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 11:28 PM (IST)
कोरोना वायरस और उसके वैरिएंट को रोकने में सक्षम दवा विकसित, जानें कैसे करती है काम
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक ऐसी दवा विकसित की है, जो न सिर्फ सार्स-सीओवी-2 वायरस का प्रसार रोकती है।

न्‍यूयॉर्क, आइएएनएस। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक ऐसी दवा विकसित की है, जो न सिर्फ सार्स-सीओवी-2 (SARS-CoV-2) वायरस का प्रसार रोकती है, बल्कि श्वसन तंत्र में संक्रमण का इलाज भी करती है। चूहों पर इस दवा का प्रयोग सफल रहा है। पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के विज्ञानियों के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने डाय-आब्जी दवा का विकास किया है। यह दवा शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करती है। इसके अलावा यह दवा दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट समेत कोरोना के संक्रमण को गंभीर रूप नहीं लेने देती है।

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चूहों पर किए गए प्रयोग से पता चला है कि यह दवा शरीर में वायरस को फैलने भी नहीं देती है। इससे वजन में भी बहुत कम गिरावट आती है। शोध में शामिल पैथोलाजी और लेबोरेटरी मेडिसिन की प्रोफेसर सारा चेरी ने कहा कि सार्स-सीओवी-2 का संक्रमण रोकने में बहुत कम दवाएं प्रभावी रूप से कारगर रही हैं। दवा की एक डोज से शुरुआती दौर में प्रतिरक्षा तंत्र को सक्रिय कर देना कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए एक प्रभावी रणनीति हो सकती है। 

यह दवा दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट बी1351 पर भी कारगर है, जो इन दिनों पूरी दुनिया में चिंता का कारण बना हुआ है। उन्होंने कहा कि सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण और इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए प्रभावशाली एंटीवायरल दवा की खोज नितांत जरूरी है। खासकर यह देखते हुए कि वायरस के नए-नए वैरिएंट सामने आते जा रहे हैं। कोरोना की इस नई दवा के बारे में यह जानकारी साइंस इम्युनोलाजी पत्रिका में प्रकाशित हुई है।

इस बीच वैज्ञानिकों ने कहा है कि अब तक लगभग सभी टीके बच्चों और वयस्कों के लिए सुरक्षित पाए गए हैं। वैज्ञानिकों ने इंफ्लूएंजा, मीजल्स, मंप्स, टिटनस और एचपीवी की रोकथाम के लिए लगाए जाने वाले टीकों पर किए गए 338 अध्ययनों का विश्लेषण किया है। अध्‍ययन में पाया गया कि ये टीके बच्चों में किसी तरह का खतरा नहीं बढ़ाते हैं। अध्ययनों में यह भी सामने आया है कि कोरोना के खिलाफ शरीर में बनी इम्युनिटी कई साल तक प्रभावी रह सकती है।  


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