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पुतिन ने स्टार्ट संधि को एक साल के लिए बढ़ाने का दिया प्रस्ताव, अमेरिका ने नकारा, अब नए संकट की ओर दुनिया

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को न्यू स्टार्ट शस्त्र नियंत्रण संधि को एक साल के लिए और बढ़ाए जाने का प्रस्ताव दिया जिसे अमेरिका ने नकार दिया है। इससे परमाणु हथियारों को कम करने के लिए हुए समझौता पर ग्रहण लग गया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 06:04 AM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 06:04 AM (IST)
पुतिन ने स्टार्ट संधि को एक साल के लिए बढ़ाने का दिया प्रस्ताव, अमेरिका ने नकारा, अब नए संकट की ओर दुनिया
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शस्त्र नियंत्रण संधि को बढ़ाने के प्रस्ताव को अमेरिका ने नकार दिया है।

मॉस्को, रायटर। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) की ओर से न्यू स्टार्ट शस्त्र नियंत्रण संधि (New START nuclear arms control treaty) को एक साल के लिए और बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को अमेरिका ने नकार दिया है। परमाणु हथियारों को कम करने के लिए हुआ यह समझौता 2010 में रूस और अमेरिका के बीच हुआ था। इसका उद्देश्य परमाणु हथियारों, मिसाइलों और बमवर्षक विमानों की संख्या को सीमित करना था।

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शुक्रवार को पुतिन ने वीडियो लिंक के जरिये रूसी सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि संधि ने प्रभावी कार्य किया। दुखद है कि यह संधि खत्म हो गई। इसलिए फिलहाल बिना कोई नई शर्त लगाए पहले वाली संधि को ही एक साल के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव कर रहा हूं। इस बीच हम नई संधि के संबंध में वार्ता कर लेंगे और आवश्यक मानदंड तय कर लेंगे। इस प्रस्ताव पर अमेरिका की ओर से निराशाजनक प्रतिक्रिया आई है।

अमेरिका के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राबर्ट ओ-ब्रायन (Robert O'Brien) ने कहा है कि न्यू स्टार्ट शस्त्र नियंत्रण संधि सफलता प्राप्‍त करने वाली नहीं है। बता दें कि करीब आठ महीने पहले फरवरी में खत्म हुई इस संधि के चलते रूस और अमेरिका पर हथियार नियंत्रण के लिए लगी सारी बंदिशें खत्म हो गईं। इसके बाद दोनों देशों ने तेजी से हाइपरसोनिक मिसाइलें तैयार कर उन्हें तैनात करना शुरू कर दिया। फिलहाल रूस इस मामले में आगे है। 

अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) के प्रस्‍ताव को अमेरिका द्वारा ठुकराए जाने से एक बार फिर दुनिया में हथियारों की प्रतिस्पर्धा शुरू होने की आशंका पैदा हो गई है। इस संधि में चीन को भी शामिल होने के लिए कहा गया था लेकिन वह इससे लगातार कन्नी काट रहा है। चीन कह रहा है कि उसके परमाणु हथियारों का जखीरा रूस और अमेरिका की तुलना में बहुत छोटा है इसलिए उसका संधि में शामिल होना जरूरी नहीं है।


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