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US Presidential Debate: पहली 'डिबेट' में आमने-सामने होंगे ट्रंप व बिडेन, पर नहीं मिलाएंगे हाथ

केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी क्लीवलैंड (ओहायो) में 90 मिनट चलने वाली बहस का संचालन फॉक्स न्यूज के मशहूर एंकर क्रिस वॉलेस करेंगे। बहस के लिए छह विषय चुने गए हैं। ये मुद्दे हैं-दोनों प्रत्याशियों के रिका‌र्ड्स सुप्रीम कोर्ट कोरोना वायरस अर्थव्यवस्था नस्ली हिंसा और चुनाव की पवित्रता

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 06:14 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 07:00 PM (IST)
US Presidential Debate: पहली 'डिबेट' में आमने-सामने होंगे ट्रंप व बिडेन, पर नहीं मिलाएंगे हाथ
अमेरिका में तीन नवंबर को होने हैं राष्ट्रपति के चुनाव।

वाशिंगटन, एजेंसियां। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके डेमोक्रेट प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन के बीच पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट के लिए मंच तैयार हो चुका है। कोरोना वायरस की वजह से मंगलवार रात नौ बजे (भारतीय समयानुसार बुधवार सुबह 6.30 बजे) शुरू होने वाली बहस की तस्वीर इस बार बदली नजर आएगी। ऐसा पहली बार होगा, जब दोनों प्रतिद्वंद्वी आमने-सामने होंगे, लेकिन हाथ मिलाने की ऐतिहासिक परंपरा नहीं निभाई जाएगी। इस दौरान दोनों प्रत्याशी मास्क नहीं लगाएंगे।

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केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी, क्लीवलैंड (ओहायो) में 90 मिनट चलने वाली बहस का संचालन फॉक्स न्यूज के मशहूर एंकर क्रिस वॉलेस करेंगे। बहस के लिए छह विषय चुने गए हैं। ये मुद्दे हैं-दोनों प्रत्याशियों के रिका‌र्ड्स, सुप्रीम कोर्ट, कोरोना वायरस, अर्थव्यवस्था, नस्ली हिंसा और चुनाव की पवित्रता। हर विषय के लिए 15 मिनट दिए जाएंगे। इस दौरान, आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चलेगा।

इस बार की बहस दर्शक संख्या के लिहाज से पिछला रिकार्ड तोड़ सकती है। 2016 में प्रेसिडेंशियल डिबेट को 84 मिलियन (आठ करोड़, 40 लाख) लोगों ने टीवी पर देखा था।

ट्रंप सार्वजनिक मंचों पर कभी झिझकते नहीं हैं। वे बड़ी रैलियां करते हैं, धाराप्रवाह बोलते हैं और लगभग रोज ही मीडिया के उलझाने वाले सवालों का सामना करते हैं। ऐसे में बिडेन पर ज्यादा नजर रहेगी, जो प्रचार अभियान के दौरान कम देख गए हैं। बिडेन के पास अपनी बौद्धिक क्षमता दिखाने और अपनी उम्र को लेकर उठी चिंताओं को दूर करने का बढि़या मौका होगा।

खास फर्क नहीं पड़ता

अमेरिकी लोग इस बहस को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं। द वॉल स्ट्रीट जनरल और एनबीसी के ताजा सर्वे से यही पता चलता है। यह पूछे जाने पर कि इस बहस से कोई निर्णय लेने में आपको कितनी मदद मिलेगी, 44 फीसद लोगों का कहना था- बिल्कुल नहीं। 27 फीसद लोगों ने इसे थोड़ा-सा महत्व दिया। केवल 18 फीसद लोगों ने इसे महत्वपूर्ण बताया।

कमला बोली, निराश न हों

उपराष्ट्रपति पद की डेमोक्रेट प्रत्याशी कमला हैरिस ने नॉर्थ कैरोलिना में मतदाताओं से कहा कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट में नई नियुक्ति करने के रिपब्लिकन पार्टी के प्रयासों से निराश होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि रिपब्लिकन पार्टी का मकसद लोगों को यह महसूस कराना है कि उनके वोट मायने नहीं रखते। हैरिस ने कहा कि हम न हार मानेंगे, न पीछे हटेंगे। उन्होंने कहा कि हम उस संक्रमण को नहीं फैलने देंगे, जिसे ट्रंप ने राष्ट्रपति के पद और कांग्रेस में फैलाया है। इसने हमारी राजनीति को अपंग बना दिया है और अमेरिकी लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया है। इसे वे अब सुप्रीम कोर्ट में भी फैलाना चाहते हैं।


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