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UNGA से पहले ही ट्रंप ने PM Modi को Father of India बताकर इमरान को दिया सीधा संकेत

पीएम मोदी को Father of India कहकर राष्‍ट्रपति ट्र्रंप ने पाकिस्‍तान को सीधा संकेत देने की भी कोशिश की है। उन्‍होंने यह कहकर जता दिया है कि वह पाकिस्‍तान के झांसे में नहीं आएंगे।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 01:29 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 03:16 PM (IST)
UNGA से पहले ही ट्रंप ने PM Modi को Father of India बताकर इमरान को दिया सीधा संकेत

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को Father of India PM Modi कहने के मायने अपने आप में बेहद खास हैं। उनका यह बयान न सिर्फ पीएम मोदी की उस छवि को सामने रखने में समर्थ है जिसमें वह सभी को साथ लेकर चलते दिखाई देते हैं। इसके अलावा वह अपने मुद्दों पर दुनिया के देशों को भी साधने में माहिर हैं। ऐसा उन्‍होंने एक नहीं कई बार करके भी दिखाया है। वर्तमान की बात करें तो जम्‍मू कश्‍मीर के मुद्दे पर जिस तरह से पाकिस्‍तान ने दुनिया भर में अपनी चाल चली, उस पर पीएम मोदी की कूटनीति ने पूरी तरह से पानी फेर दिया। शुरुआत में पाकिस्‍तान की इस चाल में कहीं न कहीं अमेरिका भी फंसता दिखाई दे रहा था, लेकिन पीएम मोदी की कूटनीति ने अमेरिका को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। यही वजह है कि अब अमेरिका ने जम्‍मू कश्‍मीर पर अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। अब अमेरिका सीधेतौर पर यह कहता दिखाई दे रहा है कि इस मुद्दे को भारत-पाकिस्‍तानको मिलकर सुलझाना चाहिए।

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सिर्फ बयान नहीं 

पीएम मोदी को Father of India कहना राष्‍ट्रपति ट्रंप (US President Donald Trump) का महज एक कोरा बयान नहीं हो सकता है। दरअसल, अमेरिका इस बात को बखूबी जान चुका है कि भारत अपने हितों के लिए किसी भी देश के आगे घुटने नहीं टेक सकता है। ऐसा अमेरिका ने उस वक्‍त भी महसूस किया था जब पेरिस सम्‍मेलन में खुद राष्‍ट्रपति ट्रंप ने भारत के खिलाफ गलत बयानबाजी की थी। जलवायु परिवर्तन पर हुए इस सम्‍मेलन में ट्रंप ने यहां तक कहा था कि इसके लिए सबसे अधिक फंड अमेरिका ही देता है, लेकिन इसका फायदा भारत उठाता है। इस पर भारत की तरफ से उन्‍हें बिना वक्‍त गंवाए करारा जवाब दिया गया था।

भारत ने अमेरिका को भी दिखाया आइना 

यह केवल एकमात्र उदाहरण नहीं है कि जब भारत ने अमेरिका को आइना दिखाया हो। ट्रेडवार के मुद्दे पर भी भारत ने अमेरिका को इसी तरह से जवाब दिया था। इसको लेकर शुरुआत में अमेरिका जरूर बौखलाया था लेकिन बाद में भारत के रुख को देखते हुए मामले को तूल देना अमेरिका ने सही नहीं समझा। हालांकि, इसके बाद भी दोनों देशों के बीच ट्रेड वार खत्‍म नहीं हुआ है, लेकिन, ये जरूर हुआ है कि इसका शोर अब पहले जैसा नहीं है। इसके अलावा एच1बी1 वीजा (H1B1 Visa Issue) के मुद्दे पर भी भारत ने अमेरिका (India-US Relation) के समक्ष अपना पक्ष बड़ी मजबूती से रखा था। ये तमाम मुद्दे वो हैं जिसपर भारत को अपनी जनता के अलावा दुनिया के दूसरे देशों का भी भरपूर समर्थन मिला है।   

बयान पाकिस्‍तान के लिहाज से भी बेहद खास 

उनका यह बयान पाकिस्‍तान के लिहाज से भी बेहद खास है। दरअसल, जम्‍मू कश्‍मीर की संवैधानिक स्थिति में बदलाव के बाद से पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री पूरी दुनिया में यह झूठ फैला रहे हैं कि भारत में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग मोदी सरकार से डरे हुए हैं। उनके ऊपर जुल्‍म हो रहे हैं। ट्रंप के बयान ने यह साफ कर दिया है कि इमरान द्वारा फैलाए जा रहे झूठ को अमेरिका ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उनका ये कहना कि भारतीय पीएम सभी को साथ लेकर चलने में माहिर हैं और उन्‍होंने पूरे देश को एक परिवार के रूप में बांधकर रखा है अपने आप में पाकिस्‍तान की पोल खोलने के लिए काफी है।  

जटिल है कारोबार का मुद्दा

यहां पर ये नहीं भूलना चाहिए कि राष्‍ट्रपति ट्रंप ने जब से पदभार संभाला है तब से ही वह अमेरिका फर्स्‍ट की नीति (America First Policy) पर काम कर रहे हैं। इसके तहत उन्‍होंने कई कड़े और बड़े फैसले भी लिए हैं। हालांकि भारत और अमेरिका (Trade War Between US-India) के बीच में कारोबार से जुड़े मुद्दे काफी जटिल है। इसमें दोनों तरफ की कंपनियों का हित, नौकरियां और निवेश जुड़ा है। भारत की तरफ से अपनी कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में ज्यादा पहुंच की मांग की जा रही है। साथ ही अमेरिकी कंपनियों के हितों का भी ध्यान रखा जाएगा। हालांकि, वैश्विक मंच पर राष्‍ट्रपति ट्रंप की छवि एक बड़बोले नेता की है। जानकार भी इससे इंकार नहीं करते हैं, लेकिन जानकार इस बात से भी इंकार नहीं करते हैं कि बीते कुछ वर्षों में भारत की छवि लगातार वैश्विक मंच पर मजबूत हुई है।

चीन से गतिरोध पर भी भारत का कड़ा रुख

जून 2017 में भारत और चीन के बीच विवाद की वजह रहा डोकलाम मुद्दा भी पीएम मोदी की मजबूत कूटनीति की गवाही देता है। इससे कोई इंकार नहीं करता है कि एशिया में चीन की दादागिरी को यदि किसी ने रोका  है तो वह भारत ही है। डोकलाम क्षेत्र में चीन की तरफ से चलाए जा रहे निर्माण कार्य पर भी भारत ने ही लगाम लगाई थी। यह क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से बेहद खास है। यह पूरा क्षेत्र भारत की सुरक्षा के लिए खासा मायने रखता है। वहीं, चीन की मजबूती को भी कम करके नहीं आंका जा सकता है। इसके बावजूद भारत ने कूटनीतिक और रणनीतिक मोर्चे पर चीन को जबरदस्‍त शिकस्‍त दी थी। करीब 78 दिनों तक चले इस विवाद के दौरान दोनों देशों की सीमाओं पर सेनाओं की हलचल बढ़ गई थी। इस दौरान अमेरिका ने भी दोनों पक्षों से युद्ध को टालने के लिए आपसी बातचीत कर मामला सुलझाने की अपील की थी।भारत ने इस मुद्दे को बेहतर तरीके से अंजाम तक पहुंचाया था।

पाकिस्‍तान से द्विपक्षीय मुद्दे

इसी तरह से पाकिस्‍तान के समक्ष भी भारत ने अपने मुद्दों को मजबूती से रखा है। कुलभूषण जाधव की बात हो या फिर जम्‍मू कश्‍मीर का मसला या फिर हामिद अंसारी को पाकिस्‍तान से छुड़वाने का मुद्दा सभी पर भारत ने जीत दर्ज की है। आपको बता दें कि द्विपक्षीय मसलों के अलावा पीएम मोदी के नेतृत्‍व में भारत ने उन आंतरिक मुद्दों को भी बेहतर तरीके से सुलझाया है जिन पर पिछली सरकारें आगे बढ़ने से हिचकिचाती नजर आती थीं। वह चाहे अनुच्‍छेद 370 को जम्‍मू कश्‍मीर से खत्‍म करने की बात हो या फिर पूरे देश में एक कर प्रणाली के तहत जीएसटी  लागू करने का मसला, या फिर तीन तलाक के खिलाफ बिल पर मुहर, सभी में पीएम मोदी ने जनता का विश्‍वास हासिल किया है।

देश को एक सूत्र में बांध रहे पीएम

राष्‍ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी को ‘राष्‍ट्रपिता’ संबोधित कर कहा था कि वह देश को एक सूत्र में बांधते आए हैं। यही उनकी सबसे बड़ी खासियत भी है। उन्‍होंने ये भी माना है कि पीएम मोदी सीमा पार से आतंकवाद पर करारी चोट कर सकते हैं, वह इसमें माहिर हैं। उन्‍होंने यह कहकर भारत की उन सभी कार्रवाईयों का भी समर्थन किया है, जो पाकिस्‍तान के खिलाफ अब तक की गई हैं। आपको यहां पर ये भी बता दें कि पीएम मोदी फिलहाल अमेरिका में हैं और बीते दो दिनों में दोनों नेता दो बार मिल चुके हैं। उनका ये कहना कि पीएम मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर इस्लामाबाद को बहुत ही साफ व मजबूत संदेश दिया है, वैश्विक मंच पर खासा मायने रखता है।   

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