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सरहद पर दुश्मन को तबाह करने वाले ड्रोन भारत को बेच सकता है अमेरिका

अगर ऐसा हुआ तो अचूक निशाना लगाकर दुश्मन का तबाह करने वाला ड्रोन पाने वाला भारत नाटो के बाहर पहला देश होगा।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 12:02 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 12:02 PM (IST)
सरहद पर दुश्मन को तबाह करने वाले ड्रोन भारत को बेच सकता है अमेरिका

वॉशिंगटन [ एजेंसी ] । भारत के साथ अपने संबंधों में गर्मजोशी लाने के लिए अमेरिका ने भारत को गार्जियन ड्रोन के आर्म्ड वर्जन (हथियार क्षमता) देने की पेशकश की है। सूत्रों के मुताबिक यह ड्रोन केवल गैर हथियार और सर्विलांस उद्देश्यों के लिए ही बिक्री को अधिकृत था। इस तरह के प्रस्ताव के एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी और औद्योगिक समूह के उच्चाधिकारी ने दिए हैं। अगर ऐसा हुआ तो अचूक निशाना लगाकर दुश्मन का तबाह करने वाला ड्रोन पाने वाला भारत नाटो के बाहर पहला देश होगा। नाटो अमेरिका की अगुआई वाला सामरिक गठबंधन है।

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हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी हथियारों के निर्यात की नीति को बदलकर उसमें कुछ रियायतें दी हैं। इससे अमेरिकी कंपनियों में ज्यादा हथियारों का निर्माण हो सकेगा और वहां पर रोजगार बढ़ेंगे। इस निर्णय के चलते सर्विलांस ड्रोन और आ‌र्म्ड ड्रोन को सहयोगी देशों को बेचने का फैसला किया गया।

इसके तहत मिसाइल फायर करने वाले विध्वंसक और सर्विलांस ड्रोन को दूसरे सहयोगियों को भी बेचने की अनुमति दी गई है। हालांकि अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि इस डील के रास्ते में एक प्रशासनिक रोड़ा भी मौजूद है। अधिकारी के मुताबिक इस डील को हासिल करने के लिए भारत को एक कम्युनिकेशन फ्रेम वर्क को स्वीकार करना होगा।

भारत और अमेरिका के मंत्रियों की जुलाई में स्थगित हुई बैठक में भी ड्रोन सौदे का विचारणीय मुद्दा था। अब इस मुद्दे पर सितंबर की बैठक में चर्चा हो सकती है। बीते जून में ड्रोन बनाने वाली कंपनी जनरल एटोमिक्स ने बताया था कि अमेरिकी सरकार ने नौसेना के इस्तेमाल वाले ड्रोन को बेचने की अनुमति दे दी है। भारत समुद्री निगरानी के लिए ऐसे 22 बिना हथियारों वाले ड्रोन खरीदना चाहता है। इन ड्रोन की कीमत दो अरब डॉलर (13,600 करोड़ रुपये) होगी।

यह भारत-पाकिस्तान के बीच अक्सर तनाव वाले इस इलाके के लिए पहला अत्‍याधुनिक सुविधाओं वाला मानवरहित एयरक्राफ्ट होगा। अप्रैल में ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी हथियार निर्यात नीति में बदलाव किए थे। इसके तहत ट्रंप प्रशासन ने हथियारों की बिक्री को सहयोगियों के बीच बढ़ाने का लक्ष्य तैयार किया है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इसकी मदद से अमेरिकन डिफेंस इंडस्ट्री को फायदा मिलेगा और उनके देश में नई नौकरियों का सृजन भी होगा।


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