अमेरिकी मध्यावधि चुनाव में ट्रंप को झटका, प्रतिनिधि सभा में विपक्ष को बहुमत
इन नतीजों से दोनों राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के बीच वर्ष 2020 के राष्ट्रपति चुनाव से पूर्व राजनीतिक कटुता और बढ़ सकती है।
वॉशिंगटन(एजेंसी)। अमेरिका में हुए मध्यावधि चुनाव के नतीजों से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी को झटका लगा है। विपक्षी डेमोक्रेट्स ने निचले सदन प्रतिनिधि सभा (भारत में लोकसभा की तरह) में बहुमत हासिल कर लिया है जबकि ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन पार्टी सीनेट में अपना बहुमत बनाए रखने में कामयाब रही है।
इन नतीजों से दोनों राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के बीच वर्ष 2020 के राष्ट्रपति चुनाव से पूर्व राजनीतिक कटुता और बढ़ सकती है। सत्ता पर रिपब्लिकन का एकाधिकार खत्म हो गया है क्योंकि डेमोक्रेट्स ने प्रतिनिधि सभा में दो दर्जन से अधिक सीटें हासिल कर ली हैं। जो सदन पर नियंत्रण के जरूरी सीटों से 23 अधिक है।
आठ साल में पहली बार ऐसा हुआ है। इसे राष्ट्रपति ट्रंप के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से आ रहे शुरूआती बयान यही संकेत कर रहे हैं कि वे राष्ट्रपति ट्रंप के सामने मुश्किले खड़ी करेंगे। ट्रंप आव्रजन, टैक्स और हेल्थकेयर सुधार समेत कई मसलों पर बड़े विधायी बदलाव चाहते हैं और डेमोक्रेट्स यह आसानी से नहीं होने देंगे। प्रतिनिधि सभा पर कब्जा जमाते हुए डेमोक्रेट्स ट्रंप पर कई संस्थागत नियंत्रण रख सकते हैं।
ट्रंप को नतीजों पर संतोषष पिछले कई सप्ताह से आक्रामक तरीके से प्रचार कर रहे ट्रंप ने नतीजों पर संतोष जताया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए इसे ब़़डी सफलता बताया है। इन परिणामों से वॉशिंगटन में शक्ति संतुलन बदल जाने की आशा है। वर्ष 2016 में हुए चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी का कांग्रेस के दोनों सदनों में बहुमत था पर अब मध्यावधि चुनावों के परिणाम से राष्ट्रपति ट्रंप को शासन चलाने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है। अमेरिकी मतदाता मध्यावधि चुनाव में प्रतिनिधि सभा की 435 सीटों, सीनेट की 100 में से 35 सीटों, गवर्नर के 36 पदों और देशभर में राज्य विधायिकाओं की सीटों के लिए मतदान हुआ।
इतनी सीटों पर हुए चुनाव
- 435 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा की सभी सीटों पर कराए गए चुनाव।
- 100 सदस्यीय सीनेट की 35 सीटों पर भी चुने गए नए सदस्य।
- 36 गर्वनर भी निर्वाचित
समोसा कॉकस नहीं बढ़ा पाया अपनी ताकत
अमेरिकी कांग्रेस में भारतीय अमेरिकियों का समूह, जिसे कथित रूप से समोसा कॉकस कहा जाता है, अपनी ताकत बढ़ा पाने में नाकाम रहा। आधा दर्जन से भी अधिक नए भारतीय अमेरिकी उम्मीदवारों में से कोई भी प्रतिनिधि सभा में जगह नहीं पा सका। जबकि इन उम्मीदवारों में कई ने कड़ी टक्कर देते हुए पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा था।
हालांकि राज्यों की विधानसभाओं में भारतीय अमेरिकियों ने अधिक सीटें हासिल की हैं। पहली बार इलिनॉय सीनेट के लिए इस समुदाय ने अपने सदस्य राम विलिवलम को चुना है। मुस्लिम भारतीय अमेरिकी मुज्ताबा मोहम्मद को नॉर्थ कैरोलिना स्टेट सीनेट में भेजा है। शिकागो में जन्मे विलिवलम निर्विरोध चुने गए हैं। वह स्टेट सीनेटर बनने वाले पहले भारतीय अमेरिकी हैं। इलिनॉय जनरल असेंबली के लिए वह पहले दक्षिण एशियाई अमेरिकी सदस्य भी हैं।