JK के दौरे से लौटे US सीनेटर ने अनुच्छेद 370 पर भारत का किया समर्थन, प्रतिनिधि सभा में रखा पक्ष
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में पेरी ने कहा कि जम्मू कश्मीर के नागरिकों के लिए आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में समान अवसर प्रदान करने की आकांक्षा में भारत के साथ खड़े हैं।
वाशिंगटन एजेंसी । जम्मू कश्मीर से लौटे अमेरिकी सीनेटर स्कॉट पेरी ने एक बार फिर अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण पर भारत सरकार के फैसले का जोरदार समर्थन किया है। पेरी का कहना है अनुच्छेद 370 के हटने से जम्मू कश्मीर में स्थिरता आएगी। इससे यहां की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी, जिससे युवाओं को रोजगार मिलेगा। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में अपने एक बयान पेरी ने कहा कि जम्मू कश्मीर के नागरिकों के लिए आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में समान अवसर प्रदान करने की आकांक्षा में भारत के साथ खड़े हैं।
पेरी ने संविधान के अनुच्छेद 370 को रद करने के भारत सरकार के फैसले का मजबूती से समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि इस कदम से सरकार को जम्मू कश्मीर में आर्थिक विकास के साथ युवाओं की बेरोजगारी को दूर करने में सहायक होगी। बता दें कि पेरी को छोड़कर पांच अन्य अमेरिकी कांग्रेसियों ने भी कश्मीर पर भारत सरकार के स्टैंड का समर्थन किया है। इसमें रिपब्लिकन पार्टी के जो विल्सन, पीट ओल्सन, पॉल गोसर, जॉर्ज होल्डिंग और फ्रांसिस रूनी हैं। इन कांग्रेसियों ने भी पूर्व में इस अनुच्छेद 370 के हटाने पर भारत सरकार के कदम का अपना समर्थन दिया था।
पेरी ने कहा कि पिछले वर्ष भारतीय संसद ने जम्मू कश्मीर की स्थिति को बदलने के लिए मतदान किया था। दो तिहाई सदस्यों ने अनुच्छेद 370 को हटाने के पक्ष में मत दिया था। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग लंबे समय से आर्थिक अवसाद एवं चरमपंथ-कट्टरपंथ से जूझ रहे हैं। भारत सरकार के इस कदम से राज्य में क्षेत्रीय स्थिरता आएगी। उन्होंने आशा व्यक्त की भविष्य के लिए एक बेहतर तरीका और आशा प्रदान करेगी।
कौन है अमेरिकी कांग्रेसी स्कॉट पेरी
- पेरी पेन्सिलवेनिया रिपब्लिकन कांग्रेसी हैं। यह उनका चौथा कार्यकाल है। वह हाउस के दो महत्वपूर्ण कमेटियों - विदेश मामलों और परिवहन और बुनियादी ढाँचे पर कार्य करते हैं।
- एशिया और प्रशांत पर विदेश मामलों की उप-समिति का हिस्सा होने के कारण वह इस क्षेत्र की गतिशीलता और राज्य द्वारा प्रायोजित आतंकवाद से प्रेरित अस्थिरता का एक करीबी पर्यवेक्षक है।
- पिछले साल 27 मार्च को उन्होंने पुलवामा आतंकवादी हमले की निंदा करने के लिए सदन में प्रस्ताव 261 पेश किया था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान में आतंकवादियों से सहानुभूति रखने वालों का एक लंबा इतिहास है।