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अमेरिकी आयोग ने की भारत को 'विशेष चिंता वाला देश' घोषित करने की सिफारिश, जानिए क्या है वजह

भारत में धार्मिक आजादी की स्थिति पिछले साल भी नकारात्मक बनी रहने का लगाया आरोप। अमेरिका की संसद द्वारा गठित अर्ध न्यायिक निकाय अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआइआरएफ) ने की बाइडन सरकार से सिफारिश। अमेरिका की ओर नजर।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 11:06 AM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 11:06 AM (IST)
भारत को 'विशेष चिंता वाला देश' घोषित करने की सिफारिश। (फोटो: दैनिक जागरण)

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका की संसद द्वारा गठित अर्ध न्यायिक निकाय 'अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग' (यूएससीआइआरएफ) ने बाइडन प्रशासन से भारत समेत चार देशों को 'विशेष चिंता वाले देश' घोषित करने की सिफारिश की है। आयोग का आरोप है भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति 2020 में भी नकारात्मक बनी रही।आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में विदेश मंत्रालय से 10 देशों को फिर से 'विशेष चिंता वाले देश' घोषित करने की मांग की है।

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इन देशों में म्यांमार, चीन, इरीट्रिया, ईरान, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान शामिल हैं। आयोग ने भारत के अलावा रूस, सीरिया और वियतनाम को भी 'विशेष चिंता वाले देश' घोषित करने की सिफारिश की है। हालांकि आयोग की यह रिपोर्ट बाइडन प्रशासन के लिए बाध्यकारी नहीं है। भारत अतीत में कह चुका है कि यूएससीआइआरएफ उन मामलों पर भेदभावपूर्ण रवैया अख्तियार करता है जिस पर उसे हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।

विदेश मंत्रालय ने पिछले साल कहा था कि किसी विदेशी निकाय को देश के नागरिकों के संविधान के तहत सुरक्षित अधिकारों पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है।खास बात यह है कि अन्य देशों के विपरीत यूएससीआइआरएफ की भारत के बारे में की गई सिफारिशें सर्वसम्मत नहीं हैं। आयोग के आयुक्त जानी मूर ने सिफारिशों पर आधिकारिक रूप से अपनी असहमति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि भारत को 'विशेष चिंता वाला देश' घोषित नहीं किया जा सकता। बता दें कि इस आयोग का गठन अमेरिकी सरकार ने 1998 में किया था और भारत परंपरागत रूप से उसकी सिफारिशों को मान्यता नहीं देता। एक दशक से भी ज्यादा समय से भारत इस आयोग के सदस्यों को वीजा देने से इन्कार करता रहा है।


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