इंडो पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य ताकत का होगा विस्तार, वाशिंगटन-बीजिंग के बीच तनाव बढ़ा
इंडो पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका और चीन के मध्य तनाव और बढ़ सकता है। क्षेत्र में चीन की बढ़ती दिलचस्पी और दखल के कारण अमेरिका ने ऐलान किया है कि वह वहां अपनी सैन्य ताकत का विस्तार करेगा।
वाशिंगटन, एजेंसी। अमेरिका ने ऐलान किया है कि इंडो पैसिफिक क्षेत्र में वह अपनी उपस्थिति का विस्तार करेगा। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट सी ओ ब्रायन ने कहा इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती दिलचस्पी और दखल को देखते हुए अमेरिका यह कदम उठा रहा है। अमेरिका के इस कदम से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका और चीन के मध्य तनाव और बढ़ सकता है।
खतरे में क्षेत्रीय स्थिरता और देशों की संप्रभुता
ब्रायन ने कहा कि इंडो पैसिफिक अंतरराष्ट्रीय व्यापार का एक बड़ा केंद्र हैं। यह एक महत्वपूर्ण आर्थिक जोन है। ब्रायन ने कहा कि विशेष आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाले जहाजों का चीन लगातार उत्पीड़न कर रहा है। चीन की दखलअंदाजी से क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा उत्पन्न हो गया है। चीन की इस करतूत से इंडो पैसिफिक देशों की संप्रभुता को खतरा उत्पन्न हो गया है। ब्रायन ने कहा कि चीन की गतिविधियों पर विराम लगाने के लिए अमेरिका ने अपनी सैन्य क्षमता का विस्तार करने की योजना बना रहा है।
अमेरिकी क्षमता के विस्तार का लक्ष्य समुद्री सुरक्षा
ब्रायन ने कहा कि क्षेत्र में अमेरिकी क्षमता के विस्तार का लक्ष्य समुद्री सुरक्षा है। उन्होंने कहा इस बाबत एक सर्वेक्षण कराया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2021 में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका की क्षमता और उपस्थिति बढ़ाने के उद्देश्य फास्ट रिस्पांस कटर को आधार बनाने की योजना बना रहा है। फास्ट रिस्पांस कटर की नई पीढ़ी समुद्री सुरक्षा मिशनों का संचालन करेगी। इसके तहत क्षेत्रीय सहयोगी देशों के साथ मिलकर समुद्री निगरानी की जाएगी। इसमें मत्स्य गस्ती दल, अपतटीय निगरानी और प्रवर्तन क्षमता शामिल है। इस मिशन का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता कायम रहे।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मॉरिसन भी जता चुके हैं चिंता
इसके पूर्व ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने भी कहा था कि इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती दिलचस्पी भावी समस्याओं और चुनौतियों का कारण बनेगी। ऐसे में एक क्षेत्रीय गठबंधन का निर्माण इस भावी परेशानी का समाधान बन सकती है। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया था कि इंडो-पैसिफिक गठबंधन बनाना हमारी महत्वपूर्ण प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने आवाहन किया है कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में समान विचारधारा वाले देशों को एकजुट होना चाहिए ताकि आने वाले दिनों में चीनी आक्रामकता का प्रभावी सामना किया जा सके, जो कि क्षेत्रीय स्थिरता एंव शांति के लिए आवश्यक है।